भारत का नौजवान जिन सवालों पर नेताओं को बोलते सुनना चाहता है, नेता पूरी कोशिश में लगे हैं कि उन सवालों पर न बोला जाए. टीवी के ज़रिए सवालों से देश को बहका कर वहां ले जाया जा रहा है जहां उस बहस का कोई मतलब नहीं मगर उस बहस में चंद मिनटों का रोमांच ज़रूर है. लम्हों को धोखा देकर पीढ़ियों को बर्बाद किया जा रहा है. अच्छी बात यही है कि भारत के नौजवानों ने भी कसम खा ली है कि राजनीति के इस खेल को नहीं समझना है वरना इंदौर की डाक्टर स्मृति लहरपुरे ने फीस के जिस दबाव में आत्महत्या की है, उस सवाल पर नेताओं को फर्क भले न पड़े, नौजवानों का सर शर्म से झुक जाना चाहिए था. अच्छी बात है कि कुछ मेडिकल संस्थानों के छात्रों ने स्मृति लहरपुरे के समर्थन में प्रदर्शन किया है.