क्या सिर्फ हवाई यात्री ही यात्री हैं, रेल यात्री यात्री नहीं हैं. सवाल सिम्पल है कि भारत का एक हिस्सा अगर हवाई यात्रियों के अधिकार का चार्टर बनाता है तो रेल यात्रियों के लिए उसी तरह का चार्टर क्यों नहीं है. आपको दर्जनों ऐसी गाड़ियों के नाम बता सकता हूं जो 10 से 60 घंटे की देरी से चलती हैं. इनके यात्री किस मायने में हवाई यात्रियों से कम हैं. अगर हवाई यात्रियों को फ्लाइट लेट होने पर 10 से 20,000 तक का मुआवज़ा मिलना चाहिए तो रेल में सफर करने वाले यात्रियों को क्यों नहीं मिलना चाहिए. क्यों नहीं रेल यात्रियों को भी वही सुविधा मिले जो हवाई यात्रियों को दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है.