बीता हफ्ते देश ने फिर एक नया हंगामा देखा, हिंसक विरोध प्रदर्शन, आगजनी, सड़क पर युवा, संसद ने विवादास्पद नागरिक संशोधन बिल पास किया गया और फिर हमने देखा कि आधी रात को राष्ट्रपति के दस्तखत से वो कानून बना. इस कानून हो रहा विरोध असम, त्रिपुरा, बंगाल, दिल्ली, मुबई तक पहुंच गया है. क्या ये कानून बुनियादी तौर पर भारत के संविधान के धर्मनिर्पेक्ष ढांचे के खिलाफ है क्योंकि ये कानून कहता है कि धर्म के आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. इससे मुसलमानों को बाहर रखा गया है. क्या नया नागरिकता कानून भारत को मूल रूप से बदल डालेगा.