तीन राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद और 2019 के आम चुनावों से पहले सरकार के सामने जो सबसे बड़े सवाल है, उनमें एक खेती-किसानी को संकट से निकालने का सवाल भी है. माना जा रहा है कि इन चुनावी राज्यों में बीजेपी को किसानों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने तीनों राज्यों में क़र्ज़ माफ़ी का ऐलान कर रखा था और मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पहले ही दिन मुख्यमंत्रियों ने क़र्ज़ माफ़ी के दस्तावेज़ पर दस्तख़त किए. बीजेपी ये बहस करती रही कि कांग्रेस ने वादा पूरा नहीं किया है, कि सारे क़र्ज़े माफ़ नहीं हुए हैं. यह भी कि 31 मार्च से पहले के जिस क़र्ज को माफ़ करने की बात की जा रही है, वो किसानों ने पहले ही अदा कर दिया है और उनके सिर पर नया क़र्ज़ है. लेकिन इन सबके बीच ये बहस चल पड़ी है कि किसानों का क़र्ज़ माफ़ हो या नहीं.