16 साल की एक लड़की ग्रैता तुनबैर हुक्मरानों के लिए चुनौती बन गई है. ग्रैता ने अपने नैतिक बल और कठोर निश्चय से सबको घेर लिया है. वह अकेली है लेकिन दुनिया भर के लिए आंदोलन बन चुकी है. एक ऐसे नए रास्ते की बुनियाद रख रही है जिसे अब बच्चे तय करेंगे. अगर बड़ों से सिर्फ बातें होती हैं तो अब उन बातों का इंतज़ार नहीं किया जा सकता. बच्चे भी सड़क पर आ सकते हैं, दुनिया भर में यात्राएं कर सकते हैं और जलवायु के सवाल को बड़ा कर सकते हैं और समाधान की मांग कर सकते हैं. ग्रेटा की कहानी को भारत के हर स्कूल में बताया जाना चाहिए और हर घर में बताया जाना चाहिए.