सड़क पर खड़ी थी, उसे गाड़ी के अन्दर खींच लिया था. फोन पर बात कर रही थी वो. गैंगरेप किया और फिर कहीं दूर सड़क किनारे फेंक दिया था. रोज बरोज तमाम वाकयात, गैंगरेप, छेड़छाड. और कभी कभी तो वो हैवानियत जो एक लड़की के शरीर को बस मांस का लोथड़ा भर समझती. शहरों की इन सड़कों पर कौन महफूज है. रेप तो बच्ची, लड़की या औरत किसी का भी हो रहा है. भीड़ भाड़ वाले शहर में कोइ बचाने क्यों नही आता. तो देश की राजधानी की सड़कों पर ही देखने निकले क्या हाल है.