ब्रिघम एंड विमेन हॉस्पिटल की एसोसिएट एपिडेमियोलॉजिस्ट अदिति हाजरा ने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग की आवश्यकता होती है ताकि नए वेरिएंट की पहचान की जा सके, इसके प्रसार की जांच की जा सके और वेरिएंट के व्यवहार का पता लगाया जा सके. खास तौर पर यदि अगर वायरस कुछ आयु समूहों या कुछ को मॉर्बिटीज वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है.