नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ पिछले दिनों दिल्ली के जामिया इलाके में जिस तरह से हिंसा और पुलिस बर्बरता की तस्वीर देखने को मिली उसका सिलसिला भले ही थम गया हो, लेकिन नागरिकता कानून का विरोध अब भी जारी है. जिसमें जामिया मिल्लिया के छात्रों के साथ जामिया और शाहीन बाग इलाके के आम लोग भी भारी तादाद में शामिल हैं. ये विरोध प्रदर्शन पिछले कई दिनों से बेहद शांतिपूर्ण ढंग से जारी है. इसमें बड़े पैमाने पर महिलाएं शामिल हैं और हर उम्र के लोग. हैरानी तब ज़्यादा होती है जब 90 साल तक के बुज़ुर्ग भी बिस्तर से उठकर सड़क पर प्रदर्शन करने पहुंच जाते हैं. आखिर क्यों नागरिकता संशोधन कानून सभी लोगों के बीच ये भरोसा पैदा नहीं कर पा रहा है कि इस देश में किसी की भी नागरिकता को कानून खतरा नहीं है. आख़िर क्यों शाहीनबाग की दादियां लड़ रही हैं CAA और NRC का दंगल?