जानबूझकर होता है फर्जी खबरों का प्रचार

  • 3:40
  • प्रकाशित: मार्च 22, 2019
Facebook और Twitter के ज़रिए उम्मीदवार सीधे तौर पर वोटरों तक पहुंच कर अपने समर्थकों को जुटा सकते हैं और लोगों के बीच अपना एजेंडा भी तय कर सकते हैं। इसी लिए निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया के बड़े नामों के साथ इन आम चुनावों के लिए एक आचार नीति बनाई है। सवाल ये है कि क्या ये नियम फ़र्ज़ी और झूठी ख़बरों के ज़रिए चुनावी प्रक्रिया पर असर डालने में कामयाब रहेंगे? इस सिलसिले में अभी बहुत कुछ करना बाक़ी है.

संबंधित वीडियो