क्या मल्टीनेशनल कंपनियां (Multinational Companies) तीसरी दुनिया के मज़दूरों के साथ भेदभाव भरा सलूक करती हैं? क्या यूरोप-अमेरिका में जो उनके मानदंड हैं वो एशिया और भारत तक आते-आते बदल जाते हैं? कई रिपोर्ट्स में इस तरह का इशारा मिलता है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेज़न इंडिया के गोदामों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए हालात बहुत अच्छे नहीं हैं।