सिक्किम में आई प्राकृतिक आपदा ने भयंकर कहर बरपाया है. क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर के पिघलने का खतरा बड़ा हो रहा है. इसके साथ ही आपदाओं के बढ़ने की आशंका भी. इस बीच 10 साल पहले फरवरी 2013 में "Current Science" Journal में छपा ISRO के दो वैज्ञानिकों और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की एक वैज्ञानिक का एक रिसर्च पेपर सामने आया है. इसमें उन्होंने आगाह किया था कि सिक्किम का साउथ ल्होनक ग्लेशियर पीछे जा रहा है. इसकी वजह से इसके फटने और आपदा की संभावना काफी ज़्यादा है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस चेतावनी के बाद एजेंसियों ने जरूरी कदम उठाये थे?