राष्ट्र के नाम संबोधन हो गया प्रधानमंत्री का. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सेक्टर का ब्यौरा पेश कर दिया. लेकिन राष्ट्र के नाम संबोधन में मजदूरों की व्यथा का का कहीं जिक्र नहीं आया. प्रधानमंत्री ने मजदूरों की तकलीफ के बारे में कुछ भी नहीं कहा. क्या यह मजदूर किसी खास मकसद या प्रयोजन के लिए पैदल चल रहे हैं ? तपती गर्मी में नंगे पांव, भूखे मर रहे हैं डिहाइड्रेशन से या दुर्घटनाओं में. हजारों किलोमीटर की लंबी यात्राएं कर रहे हैं. इन मजदूरों को सरकार की नाकामियों ने मजबूर किया कि वे पैदल धक्का खाएं और हजारों किलोमीटर की लंबी यात्रा करने के लिए मजबूर हों.