दिल्ली में हुई हिंसा के बाद अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है लेकिन दंगे के जख्म किसी नासूर की तरह लोगों की यादों में घर कर गए हैं. लोग अभी भी अपने घरों से दूर अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं. लोग जागते हुए रात काटने को मजबूर हैं. तमाम ऐसे भी लोग हैं जिनकी रोजी-रोटी इस हिंसा की आग में जल गई है.