लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े से कड़े कानून बनते जा रहे हैं, लेकिन रोक नहीं लग पा रही है. निर्भया कांड से लेकर कोलकाता रेप और मर्डर केस तक यही देखा गया है. इस बात की आवश्यकता जताई जा रही है कि सबसे पहले लड़कों और पुरुषों की मानसिकता बदलना बहुत जरूरी है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की है कि बेटा पढ़ाओ और बेटी बचाओ