अगर कोई फेयरनेस क्रीम लगाकर भी गोरा नहीं होता तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी कुछ नहीं कर सकता। ऐसे मामलों को कंज्यूमर कोर्ट ले जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी को खारिज करते हुए यह बात कही जिसमें कॉस्टमेटिक उत्पादों और सर्जरी करने वाले अस्पतालों के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग थी।