सुप्रीम कोर्ट में मॉब लिंचिंग और गौरक्षकों द्वारा भीड़ हिंसा के खिलाफ याचिका दायर (Supreme Court On Mob Lynching Petition) की गई थी. अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. इस याचिका पर जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन की तरफ से दायर याचिका पर कहा कि दिल्ली में बैठकर हम देश के विभिन्न क्षेत्रों में मुद्दों की निगरानी नहीं कर सकते. उनके विचार में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का माइक्रो मैनेजमेंट संभव नहीं होगा. तहसीन पूनावाला फैसले में अदालत पहले ही गाइडलाइन जारी कर चुकी है. ये गाइडलाइन सभी पर बाध्यकारी हैं. प्रत्येक अधिकारी निर्देशों के पालन करने के लिए बाध्य है.