कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री समय समय पर बोलते रहते हैं कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं. लेकिन क्या यह नियम राजनीतिक रैलियों पर लागू नहीं होता? पश्चिम बंगाल में खुद प्रधानमंत्री की रैलियों में ये नियम लागू नहीं हो रहा. दूसरी ओर ममता बनर्जी की भी रैलियों का भी यही हाल है. जिन नेताओं की रैलियां हो रही हैं वो भी जनता से ऐसी अपील करते नहीं दिखते कि आप कोरोना के नियमों का पालन करें. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वोटों के चक्कर में लोगों की जान ख़तरे में डाली जा रही है?