आपराधिक मामलों में फंसे चुनाव प्रत्याशियों को चुनाव प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर रखे जाने की मांग कर रही कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि आपराधिक आरोपों के आधार पर प्रत्याशियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को चुनाव प्रणाली से बाहर रखने के लिए संसद को ही नया कानून बनाना चाहिए. कोर्ट के इस फैसले से दाग़ी नेताओं को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कहा है सिर्फ़ आरोप तय होने से चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगेगी. क़ानून बनेगा तभी अपराधी राजनीति से दूर होंगे. वक़्त आ गया है कि संसद जल्द क़ानून बनाए. पैसा, बाहुबल को राजनीति से दूर रखना संसद का कर्तव्य. राजनीति का अपराधीकरण लोकतंत्र की राह में बाधा है. कोई ऐसी राजनीतिक पार्टी नहीं जहां से दागी प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़े हों, शायद इसलिए कानून अब तक संसद ने नहीं बनाया है वैसे कानून बनाने की बात का समर्थन हो रहा है.