तो क्या वाट्सएप कॉल की जासूसी की जा सकती है, जिस वाट्सएप कॉल पर आम आदमी भी भरोसा करता है कि कोई सुन नहीं रहा होगा, उसे भी किसी साफ्टवेयर की मदद से हैक कर सुना जा सकता है. यह भरोसा टूटने पर आपको कैसा लगेगा, क्या भय होगा कि जिस बातचीत को आप गुप्त या निजी समझ कर कर रहे थे, उसे कोई सुन रहा था. आम लोग भी वाट्सएप कॉल का इस्तमाल करते हैं. वो अपने सामान्य सिम से बात नहीं करते. उन्हें पता है कि निजी बात करनी है तो वाट्सएप कॉल काल करना है क्योंकि इस बातचीत को फोन के सॉफ्टवेयर से रिकार्ड नहीं की जा सकती है. फोन में बातचीत रिकॉर्ड का सॉफ्टवेयर होता है. इससे बचने के लिए आम लोग भी वाट्सएप कॉल करते हैं. वाट्सएप कॉल यही दावा करता है कि उसकी बातचीत सुरक्षित है. कोई नहीं सुन सकता है. ठीक है. अगर आपको यह पता चले कि इज़राइल के सॉफ्टवेयर की मदद से बातचीत आराम से सुनी जा रही है, रिकार्ड हो रही है तो क्या प्रतिक्रिया होगी? यह काम कौन कर सकता है यह गेस करने के लिए आपको कितनी बार दसवीं में फेल होना पड़ेगा. एक बार भी नहीं. इंडियन एक्सप्रेस की सीमा चिश्ती की इस रिपोर्ट ने सिहरन पैदा कर दी है. हम पत्रकार इस बात को पहले से जानते थे लेकिन किसी पत्रकार का वाट्सएप कॉल कोई क्यों सुनना चाहेगा, इसका जवाब आगे दूंगा. पहले आप इंडियन एक्सप्रेस की इस खबर की एक झलक देखिए.