एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर देश एक मत नहीं हो पा रहा है. इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद देखने को मिल रहे हैं. छोटी पार्टियों या क्षेत्रिय दलों का मानना है कि एक देश, एक चुनाव से उनका नुकसान होगा. इसके पक्षधर के लोगों का कहना है कि इससे बड़ी राशि की बचत होगी तो वहीं विरोधियों का कहना है कि इस कानून के बाद राजनीतिक दलों के नेता यदा-कदा ही दिखेंगे. क्योंकि उन्हें जनता का सामना 5 साल बाद ही करना होगा. समर्थन और विरोध के कई तर्क देखने मिले मुकाबला के इस एपिसोड में.