पिछले साल कोरोना काल में पीएम मोदी ने रातोंरात लॉकडाउन (Lockdown One Year) का ऐलान कर दिया था, जिसका सबसे बुरा कहर प्रवासी मजदूरों (Migrant Worker)पर टूटा था. प्रवासी श्रमिकों की हालत अभी भी नहीं बदली है. लाखों लोगों को सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. 35 साल की अवीना परवीन सूरत से कटिहार जाते वक्त रास्ते में दम तोड़ दिया था, जिनकी बच्ची को एक एनजीओ ने गोद ले लिया, लेकिन हजारों मजदूरों के परिवार अब भी गरीबी में गुजर बसर कर रहे हैं. 42 साल के अब्दुल सलाम भी 1300 किमी चलकर कटिहार गए थे, सितंबर में वापस दिल्ली आए लेकिन अब काम नहीं मिल रहा. अब दोबारा कोरोना बढ़ने से प्रवासी मजदूरों के समक्ष फिर रोजी रोटी का संकट खड़ा होने लगा है.