कोटा शहर अपने कोचिंग सेंटरों के अलावा आत्महत्याओं के लिए भी खबरों में बना हुआ है. आईआईटी, मेडिकल की तैयारी कर रहे भविष्य के सपने संजोने वाले युवा वहां पहुंच रहे हैं. उनमें से कई के सपने बिखर गए. खेलने-पढ़ने और जिंदगी जीने की उम्र में कई बच्चों ने आत्महत्या की. यह करियर का दबाव है, या परिवार का दबाव है? या पढाई का क्या पूरा तरीका ही गलत है? हम कहां नाकाम हो रहे हैं? यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुचा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मां-बाप बच्चों की क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगाते हैं. मां-बाप की वजह से बच्चे दबाव में आते हैं. दबाव में आकर बच्चे खुदकुशी कर रहे हैं.