एक साल तक देश की राजधानी की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन चला. फिर ठीक चुनावों से पहले कानून रद्द कर दिए गए. एक साल तक इन कानूनों की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी कि रिपोर्ट अदालत के पास रही. उसे ना तो सार्वजनिक किया गया, ना उस पर कोई कार्रवाई हुई.