वॉलंटियर 'विप्र गोयल' है हमारा लॉटोलैंड आज का सितारा. कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान वायरस का फैलाव शहरी से ग्रामीण इलाकों की तरफ तेज़ी से हुआ. राजस्थान में 40 फीसदी केस ग्रामीण इलाकों में ही आए, और यहीं ज़्यादा मौत भी हुईं. स्वास्थ्य विभाग के लिए इस फैलाव को रोकने में सबसे बड़ी चुनौती थी संक्रमित केसों की पहचान, क्योंकि लोग अपने रोग को ज़ाहिर करने से डर रहे थे. लोगों को चिंता थी कि उन्हें शहरों में अस्पताल ले जाया जाएगा, और वे परिवारों से दूर हो जाएंगे. इस वजह से केस रिपोर्ट नहीं किए जा रहे थे, और वायरस का फैलाव बढ़ गया. लेकिन 22-वर्षीय विप्र ने एक हल निकाला - कोरोना कवच साथी नामक ऐप, जिसकी मदद से संदिग्ध कोरोनावायरस केसों का आंकड़ा एकत्र करना, उन्हें आइसोलेट किया जाना और इलाज शुरू किया जाना सरल हो गया. वायरस के फैलाव को रोकने का अहम कदम है जल्द ही केस की पहचान हो जाना. लॉटोलैंड विप्र गोयल के अच्छे काम में साथ देने के लिए एक लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दे रही है.