उत्‍तराखंड में अब दंगाइयों की खैर नहीं, उपद्रवियों से वसूली जाएगी नुकसान की रकम

उत्‍तराखंड सरकार एक कानून लाने जा रही है, जिसमें हड़ताल ,विरोध, प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया है.

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गैरसैंण:

उत्तराखंड में उपद्रव करना लोगों को अब महंगा पड़ेगा. सरकार अब दंगाइयों के खिलाफ सख्‍त कानून लाने जा रही है. उत्तराखंड में उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई के लिए जल्द कानून अस्तित्व में आ जाएगा. मार्च के महीने में उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2024 को लाया गया था. इस अध्‍यादेश को अब उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हो रहे मानसून सत्र में विधयेक के रूप में पेश किया जाएगा और चर्चा के बाद इसे परित कर दिया जाएगा. 

नुकसान की करनी होगी भरपाई, नहीं तो...! 

दरअसल, मार्च 2024 में सरकर ने केबिनेट से अध्यादेश को मंजूरी देते हुए इसे लागू कर दिया था. लेकिन अध्यादेश के संवैधानिक सीमा 6 महीने खत्म होते देख इसे सदन के पटल पर रख दिया गया है, ताकि इसे विविधवत कानून की शक्ल दी जा सके. अध्यादेश में हड़ताल ,विरोध, प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया है.

ट्रिब्यूनल का किया जाएगा गठन 

उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली कानून के तहत नुकसान की भरपाई के लिए रोटाते जिला जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र ट्रिब्‍यूनल का गठन किया जाएगा. आईएस ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट के समान शक्तियां प्रदान की गई हैं. कानून में लिखा गया है कि सर्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए संबंधित विभाग अध्यक्ष घटना के तीन महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के सामने अपील करेंगे.

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दंगाइयों की संपत्ति भी हो सकती है कुर्क

यही नहीं आरोप तय होने पर संबंधित व्यक्ति को एक महीने के भीतर क्षतिपूर्ति जमा करनी होगी. ऐसा न करने पर दंड के प्रविधान भी किए गए हैं. इनमें आरोपित की संपति कुर्क करना शामिल है. इसमें मृत्यु के साथ ही नेत्र दृष्टि, श्रवण शक्ति, अंग भंग होने, सिर या चेहरे पर चोट आदि को निशक्तता के दायरे में रखते हुए क्षतिपूर्ति का प्रविधान है.
हड़ताल, बंद अथवा दंगों में किसी की मृत्यु होने पर दंगाई को सात लाख का प्रतिकर(जुर्माना) देना होगा. इसके साथ ही संपत्ति के मूल्य की गणना बाजार भाव के हिसाब से की जाएगी. क्षति की वसूली के लिए संबंधित विभाग और निजी व्यक्ति को तीन माह के भीतर दावा करना होगा. यह दावा सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में बनने वाले विभिन्न दावा अधिकरणों में किया जा सकेगा.

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