उत्तराखंड से विदा हुआ मॉनसून, दे गया गहरे जख्म, जानें कहां कितना नुकसान कितनी बारिश

उत्तराखंड में इस बार मॉनसून ने ऐसी तबाही मचाई कि जिसके जख्म शायद ही ताउम्र भरे, कुदरत की मार ने बता दिया कि उसके आगे सब बेबस है.

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  • उत्तराखंड में अबकी बार का मॉनसून सीजन में जमकर तबाही लाया
  • बागेश्वर जिले में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई जो सामान्य से 241 प्रतिशत अधिक रही
  • उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, पौड़ी जैसे कई इलाकों में बड़ी तबाही हुई
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देहरादून:

उत्तराखंड में तबाही मचाने के बाद आखिरकार मॉनसून ने विदाई ले ही ली है. उत्तराखंड मौसम विभाग ने घोषणा की है कि 26 सितंबर 2025 को राज्य से मॉनसून की औपचारिक विदाई हो गई. इस बार राज्य में मॉनसून के दौरान सामान्य से 22% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. मौसम विभाग के निदेशक बी.पी. तोमर के अनुसार, इस साल राज्य में 1411.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य औसत 1154.7 मिमी होता है.

मॉनसून ने दिए गहरे ज़ख्म

हर साल की तरह इस बार भी मॉनसून उत्तराखंड के लोगों को कई गहरे जख्म देकर गया. उत्तरकाशी के धराली, चमोली के थराली, रुद्रप्रयाग के बासुकेदार, देहरादून के सहस्त्रधारा, मालदेवता और प्रेमनगर, पौड़ी के थलीसैंण जैसे इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई. सड़कों से लेकर पुल तक, खेतों और बुनियादी ढांचे को भारी-भरकम नुकसान पहुंचा है, जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई है.

सीजन में इस बार कहां सबसे ज्यादा बारिश?

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बागेश्वर जिले में इस बार सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई. 2683.6 मिमी, जो सामान्य से 241% अधिक है.

  • चमोली: 1350 मिमी (89% अधिक)
  • टिहरी गढ़वाल: 58% अधिक
  • हरिद्वार: 55% अधिक
  • अल्मोड़ा: 25% अधिक
  • देहरादून: 38% अधिक
  • उधम सिंह नगर: 19% अधिक
  • उत्तरकाशी: 15% अधिक
  • चंपावत: 7% अधिक

कुछ जिलों में बारिश सामान्य से कम रही, जैसे-

  • नैनीताल: 6% कम
  • पिथौरागढ़: 1% कम
  • रुद्रप्रयाग: 5% कम
  • पौड़ी: 30% कम (सबसे कम बारिश)

आपदा में जान-माल का भारी नुकसान

राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च से 26 सितंबर 2025 के बीच प्राकृतिक आपदाओं में 136 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 6 की मौत वन्यजीव संघर्ष में हुई. वहीं 148 लोग घायल हुए, जिनमें 49 वन्यजीव संघर्ष से जुड़े हैं. इसके अलावा89 लोग लापता है, जिनमें से 67 केवल धराली से हैं. पशुधन और मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है. 268 बड़े मवेशी और 6783 छोटे जानवर मारे गए, जिनमें 6207 मुर्गियां शामिल हैं.

  • 6018 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त
  • 330 मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त
  • 332 मकान पूरी तरह ध्वस्त
  • 120 गौशालाएं भी क्षतिग्रस्त हुईं
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