बद्रीनाथ एवलांच: सभी 54 लोगों का रेस्क्यू, 8 की मौत... तस्वीरों से समझिए माणा के पहले और अब के हालात

Chamoli Avalanche : मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में संचार और बिजली बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि कई गांवों का संपर्क टूट गया है और खाद्य आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है.

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बद्रीनाथ में हिमस्खलन
बद्रीनाथ:

उत्तराखंड के बद्रीनाथ में हुए हिमस्खलन में मरने वालों की संख्या 8 हो गई है. बचाव अधिकारियों ने रविवार को 4 और शव निकाले. हिमस्खलन में फंसे 54 लोगों में से 46 को बचा लिया गया है. जबकि आठ के शव बरामद हुए हैं. एक मजदूर खुद सुरक्षित अपने घर पहुंच गया था. अब हम आपको तस्वीरों के माध्यम से उसी जगह की कहानी बताएंगे, लेकिन इस बार बदलते मौसम के साथ वहां के हालात में आए बदलाव को दिखाएंगे. यह एक ही जगह है, लेकिन मौसम के बदलाव के साथ वहां की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है.

यह तस्वीर उस जगह की है जहां से अभी बर्फ की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे थे. यह तस्वीर उस समय की है जब वहां बर्फ नहीं थी, जिससे आप देख सकते हैं कि नवंबर और मार्च 2025 में वहां के हालात कितने अलग-अलग थे.

यह फोटो 17 नवंबर 2024 को बद्रीनाथ के माना गांव के भीम पुल से ली गई थी, जिसमें सरस्वती नदी और अलकनंदा नदी का संगम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. इसके अलावा, तस्वीर में ऊंचे पहाड़ साफ दिख रहे हैं, जिन पर उस समय बर्फ नहीं थी. यह फोटो उस समय की है, जब मौसम शुष्क था और बर्फबारी नहीं हुई थी.

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तस्वीर में कुछ मकान दिखाई दे रहे हैं जिनकी छतें और दीवारें हरे रंग की हैं. ये मकान आईटीबीपी और आर्मी के कैंप हैं. तस्वीर में लाल रंग के बाण और नीचे लाल रंग के सर्कल को दिखाया गया है, जो अब लॉन्च वाली जगह है. बाण वाले मार्क किए गए स्थान पर ऊपर से एवलांच आने को दर्शाया गया है और लाल रंग के सर्कल वाली जगह वह है जहां एवलांच ने कैंप को हिट किया.

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सुबह आपदा परिचालन केंद्र का दौरा किया और चमोली में चल रहे बचाव कार्यों की निगरानी के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की. रविवार सुबह मौसम साफ होने के बाद बचाव कार्य फिर से शुरू हो गया, जिससे अभियान में शामिल टीमों को खोजबीन तेज करने में मदद मिली. अभियान में सहायता के लिए हेलीकॉप्टर भी तैनात किए गए हैं.

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शुक्रवार सुबह माना गांव में हुए हिमस्खलन में 55 मजदूर फंस गए थे. सेना, आईटीबीपी, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के त्वरित और समन्वित प्रयासों से 46 मजदूरों को बचा लिया गया. हालांकि, सात मजदूरों की जान चली गई और एक अभी भी लापता है.

हाई अलर्ट की चेतावनी जारी
बचाव अभियान में मदद के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), थर्मल इमेजिंग कैमरे और पीड़ित-स्थान निर्धारण कैमरों सहित उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. CM धामी ने कहा, "आज (रविवार) का साफ मौसम हमारे पक्ष में है, लेकिन कल (सोमवार) के लिए हाई अलर्ट की चेतावनी जारी की गई है. ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने वालों को बर्फबारी और हिमस्खलन की उच्च आशंका के कारण काम रोकने की सलाह दी गई है."

उन्होंने बताया कि सरकार की प्राथमिकता लापता श्रमिकों का जल्द से जल्द पता लगाना है. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन दल, बीआरओ और वायुसेना समन्वय के साथ काम कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग भी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में संचार और बिजली बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि कई गांवों का संपर्क टूट गया है और खाद्य आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है. पांच ब्लॉकों में बिजली बाधित हो गई थी. लेकिन आंशिक रूप से बहाल कर दी गई है. चूंकि प्रभावित स्थल माना के पास है, इसलिए सभी प्रकार के संचार टूट गए हैं और संपर्क बहाल करने के प्रयास जारी हैं.

शुक्रवार सुबह 5:30 से 6:00 बजे के बीच हिमस्खलन हुआ था, जिसमें आठ कंटेनरों और एक शेड के अंदर मौजूद सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 55 श्रमिक दब गए. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन, उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूसीएडीए) और भारतीय वायु सेना सहित कई एजेंसियों की भागीदारी में बड़े पैमाने पर बचाव अभियान कठिन भूभाग और खराब मौसम जैसी चुनौतियों के बावजूद जारी है.

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