- उत्तराखंड के धराली की तबाही के बाद हर्षिल में बनी कृत्रिम झील अब लोगों को डरा रही है
- हर्षिल की तेल गाड़ में फिर सैलाब आया है, जिससे गंगोत्री हाईवे और हेलिपैड क्षेत्र में भारी मलबा जमा हो गया
- स्यानाचट्टी की झील ने यमुना नदी के मुहाने को ब्लॉक कर दिया है, जिससे चार मंजिल तक डूब गई है
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के धराली में कुदरत के कहर के बाद अब भी देवभूमि की शांत वादियों में अब एक अनकहा सा डर पसरा है. जहां कभी पर्यटक प्रकृति की गोद में सुकून का वक्त बिताते हुए अपनों के साथ खूबसूरत पलों को सहजते थे, वहां अब पानी की सैलाब से आई तबाही का खौफनाक मंजर ही नजर आ रहा है. उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी और स्यानाचट्टी में बनी कृत्रिम झीलें अब ‘वॉटर बम' बनती जा रही हैं. एक ऐसा वॉटर बम जो कभी भी फट सकता है और फिर से धराली जैसी बड़ी तबाही मचा सकता है.
हर्षिल की तेल गाड़ में फिर आया सैलाब
रविवार देर शाम को हर्षिल की तेल गाड़ यानि की मंदाकिनी फॉल में एक बार फिर सैलाब आया है. जहां मलबे ने फिर से कृत्रिम झील को भर दिया है. मुख्य गंगोत्री हाईवे और हेलिपैड क्षेत्र में भारी मलबा जमा हो गया है. दरअसल यह वही इलाका है, जहां 5 अगस्त के दिन सेना के कैंप पर मलबा गिरा था और भारी तबाही हुई थी. स्थानीय निवासी माधवेन्द्र रावत ने इस भयावह दृश्य को अपने फोन में कैद किया.
स्यानाचट्टी की झील बनी खतरा
धराली आपदा के बाद स्यानाचट्टी में यमुना नदी के पास बनी कृत्रिम झील अब विकराल रूप ले चुकी है. हालत ये है कि चार मंजिला कालिंदी होटल की तीन मंजिलें पानी में समा चुकी हैं. सरकारी स्कूल से लेकर GMVN गेस्ट हाउस और बड़ी पार्किंग पूर तरह सब जलमग्न हो चुके हैं. यमुनोत्री नेशनल हाईवे का मोटर पुल भी अब पानी के नीचे है. स्यानाचट्टी के सरकारी स्कूल की एक पूरी मंजिल पानी में डूब गई है. स्कूल के सारे दस्तावेज़ नष्ट हो चुके हैं. कुपड़ा गाड़ से आए मलबे ने यमुना नदी के मुहाने को ब्लॉक कर दिया है, जिससे झील का जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
झील को पंक्चर करना चुनौती
हालांकि देर रात झील का जलस्तर एक मीटर घटा है, लेकिन खतरा अभी भी पूरी तरह से टला नहीं है. NDRF और SDRF की टीमें मौके पर मौजूद हैं, लेकिन झील को पंक्चर करना आसान नहीं है, क्योंकि झील में इतना पानी है कि 25 फीट तक होटल डूब चुके हैं, जबकि पहले नदी 10-15 फीट नीचे बहती थी.
अगर झील टूटी तो क्या होगा?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर झील टूटती है तो यमुना नदी का वेग कई गुना बढ़ जाएगा. इससे तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है. एक राहत की बात यह है कि हालिया सैलाब ने अपना रास्ता बदल लिया है, लेकिन यह अस्थायी राहत है. प्रशासन की कोशिश है कि किसी तरह से झील से पानी निकाला जाए और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए.