पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्यों की गुरुद्वारे में जूता सेवा? जानिए क्या है पूरा मामला

देहरादून के गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में पूर्व सीएम हरीश रावत ने गुरु ग्रंथ साहिब के आगे क्षमा याचना की और लंगर व जूता सेवा में हिस्सा लिया। यह कदम कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की विवादित टिप्पणी के बाद सिख समुदाय को साधने और राजनीतिक नुकसान से बचने के प्रयास के तहत उठाया गया.

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  • पूर्व CM हरीश रावत ने गुरु ग्रंथ साहिब को प्रणाम कर सिख समुदाय से क्षमा याचना की
  • कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने सिखों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे सिख समुदाय में गहरा आक्रोश
  • हरक सिंह रावत ने गलती स्वीकार कर पांवटा साहिब गुरुद्वारे में जाकर माफी मांगी और जूता सेवा की थी
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देहरादून:

देहरादून के गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने हाज़िरी लगाई, और गुरु ग्रंथ साहिब को प्रणाम किया और क्षमा याचना की. जिसके बाद हरीश रावत ने गुरुद्वारे में लंगर सेवा और जूता घर में सेवा भी की. दरअसल हरीश रावत ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के देहरादून में वकीलों के प्रदर्शन के दौरान सिखों पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. हरक सिंह रावत के आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद सिख समुदाय में भारी गुस्सा आ गया था.

हरक सिंह के बचाव में आए हरीश रावत

सिखों के गुस्से को भांपते हुए हरीश रावत ने बीचबचाव करते हुए आये और हरक सिंह रावत की गलती पर खुद गुरुद्वारे में जूता सेवा और लंगर सेवा करने की बात कही थी. हालांकि हरक सिंह रावत सिखों से माफी भी मांगी थी और पांवटा साहिब गुरुद्वारा में जाकर जूता सेवा भी की थी. दरअसल उत्तराखंड में 2027 में विधानसभा चुनाव है और विधानसभा चुनावों में करीब एक साल का समय रह गया है और 2017 से कांग्रेस उत्तराखंड की सत्ता से बाहर है. कांग्रेस को सत्ता वापसी करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने की आवश्यकता है.

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कांग्रेस ने चुनावी तैयारी तेज की

कांग्रेस ने चुनाव से एक साल पहले प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया. यहीं नही कांग्रेस ने सालभर पहले ही चुनाव प्रबंधन समिति, और चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष भी बना दिये है. इस बार भी कांग्रेस सत्ता से दूर न हो जाये इसके लिए कांग्रेस लगातार सडको पर है और राज्य सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड कांग्रेस चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हरक सिंह रावत इन दिनों भाजपा की उत्तराखंड सरकार और जोरदार हमलावर, हरक सिंह रावत आये दिन अपने बयानों से अखबारों, सोशल मीडिया में सुर्खियों में है.

हरक सिंह रावत के बयान से बढ़ा विवाद

हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को देहरादून में वकीलों के धरने प्रदर्शन में सिखों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर डाली जिसके बाद भाजपा ने हरक सिंह रावत समेत पूरी कांग्रेस को आड़े हाथों लेकर पूरे राज्य में प्रदर्शन कर डाला. हरक सिंह रावत के बयान के बाद पूरी कांग्रेस बैकफुट पर आ गई स्थिति की गंभीरता और चुनावी वर्ष को देखते हुए सबसे पहले हरक सिंह रावत ने तुरंत गलती मानते हुए सिख समाज से न सिर्फ माफी मांगी बल्कि रविवार को हरक सिंह रावत, पांवटा साहिब गुरुद्वारा पहुंचे.

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गुरुद्वारे में माफी और सेवा

सिखों के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हुए गलती से बोले गए शब्दों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब से माफी मांगी और पश्चाताप किया साथ ही गुरुद्वारे में जूता सेवा भी की. ऐसे में पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया में लिखा कि कांग्रेस के नेता से एक गलती हुई है जिसका पश्चाताप करने के लिए भी गुरुद्वारे में जूता सेवा और कर सेवा करेंगे और गुरु ग्रंथ साहिब के आगे माफ़ी मांगेंगे. अब राजनीतिक् तौर पर समझते है कि क्यों हरीश रावत हरक सिंह रावत के बयान के बीच मे आये और गुरुद्वारे में हाज़िरी लगाई, और गुरु ग्रंथ साहिब को प्रणाम किया और क्षमा याचना की.

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सिख वोट बैंक का महत्व

इसकी वजह उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिलों में सिखों का कई सीटों पर वर्चस्व है. इसके अलावा देहरादून, हरिद्वार में भी सिखों का कई विधानसभा सीटों में वोट बैंक है. 2017,2022 में गए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हरिद्वार और उधम सिंह नगर में सीटें हासिल हुई थी. ऐसे में अगर कांग्रेस को 2027 के विधानसभा चुनावों में जीतना और सत्ता हासिल करनी है तो सिख समाज को नाराज नही करना होगा.

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