उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में गूंजने लगे हैं श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक

माध्यमिक शिक्षा के निदेशक डॉ मुकुल सती ने इसके पीछे का कारण और दृष्टिकोण बताया है कि न सिर्फ इससे बच्चे अपनी प्राचीन परंपराओं इतिहास के बारे में रूबरू हो सकेंगे बल्कि उनके जीवन में भी उनके पर्सनालिटी डेवलपमेंट यानी बौद्धिक क्षमता को भी यह श्लोक बढ़ाने में मदद करेंगे.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

उत्तराखंड के सभी सरकारी स्कूलों में श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक सुबह की प्रार्थना सभा में बोले जाएंगे. इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया गया है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने नई व्यवस्था लागू करने का आदेश जारी किया है. उत्तराखंड के करीब 17 हजार सरकारी स्कूलों में अब सुबह की प्रार्थना सभा में प्रत्येक दिन गीता के श्लोक न सिर्फ उनका उच्चारण होता बल्कि उसे श्लोक का अर्थ क्या है, यह भी बच्चों को बताया जाएगा. इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा की तरफ से एक आदेश जारी कर दिया गया है और मंगलवार से यह सभी स्कूलों में लागू की कर दिया गया है. इसका मकसद बच्चों को अपनी प्राचीन परंपराओं से अवगत कराना है. आदेश में लिखा गया है कि हर हफ्ते एक मूल्य आधारित श्लोक को प्रार्थना सभा में बोला जाएगा और उसे श्लोक को सूचना पथ पर भी अर्थ सहित लिखा जाएगा.

माध्यमिक शिक्षा के निदेशक डॉ मुकुल सती ने इसके पीछे का कारण और दृष्टिकोण बताया है कि न सिर्फ इससे बच्चे अपनी प्राचीन परंपराओं इतिहास के बारे में रूबरू हो सकेंगे बल्कि उनके जीवन में भी उनके पर्सनालिटी डेवलपमेंट यानी बौद्धिक क्षमता को भी यह श्लोक बढ़ाने में मदद करेंगे. इसके अलावा हफ्ते भर में विद्यालय के छात्र-छात्रा उसका अभ्यास करेंगे और हफ्ते के अंतिम दिन इस पर चर्चा कर फीडबैक लिया जाए. डॉ. सती ने बताया कि शिक्षक समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करते हुए छात्र-छात्राओं को सैद्धांतिक जानकारी देंगे.

श्रीमद् भागवत गीता को सुबह प्रार्थना सभा में शामिल करने को लेकर आदेश में कहा गया है कि

1. प्रार्थना सभा में प्रतिदिन श्रीमद्भगवद्गीता के कम से कम एक उपयुक्त श्लोक अर्थ सहित छात्र-छात्राओं को सुनाया जाए तथा इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जानकारी भी उन्हें दी जाए.

Advertisement

2. इसी प्रकार प्रत्येक सप्ताह एक मूल्य आधारित श्लोक को 'सप्ताह का श्लोक' घोषित कर उसे सूचना पट्ट पर अर्थ सहित लिखा जाय तथा छात्र-छात्रा उसका अभ्यास करें तथा सप्ताह के अन्तिम दिवस को इस पर चर्चा कर फीडबैक लिया जाए.

Advertisement

3. शिक्षक समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करें तथा छात्र-छात्राओं को जानकारी दें कि श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धांत किस प्रकार मानवीय मूल्य, व्यवहार, नेतृत्व कौशल, निर्णय क्षमता, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच विकसित करते हैं. उदाहरणार्थ, गीता का श्लोक 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन' छात्र-छात्राओं को परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है तथा समझाता है कि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निरंतर कार्य और सुधार ही वैज्ञानिक सफलता का आधार है.

Advertisement

4. छात्र-छात्राओं को यह भी जानकारी दी जाय कि श्रीमद्भगवद्गीता में दिए गए उपदेश सांख्य, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान एवं नैतिक दर्शन पर आधारित हैं जो कि धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से सम्पूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं.

Advertisement

5. विद्यालय स्तर पर यह भी सुनिश्चित किया जाए कि छात्र-छात्राओं को श्रीमद्भगवद्‌गीता के श्लोक केवल विषय या पठन सामग्री के रूप में न पढ़ाए जाएं, अपितु यह भी सुनिश्चित किया जाय कि यह प्रयास उनके जीवन एवं व्यवहार में भी परिलक्षित होना चाहिए.

दरअसल नई शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम में प्राचीन विषयों को शामिल करने की बात कही गई है जिसमें 70 फ़ीसदी विषय या फिर पाठ्यक्रम केंद्र द्वारा तय किया जाएगा तो वही 30% राज्य अपने सरकारी स्कूलों में अपने हिसाब से प्राचीन विषयों को शामिल कर सकता है इसके तहत उत्तराखंड में सभी सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में रामायण और श्रीमद् भागवत गीता के पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है.
 

Featured Video Of The Day
Voter List Latest News : SIR पर NDA में मतभेद | Chandrababu Naidu | Bihar Voter List Revision
Topics mentioned in this article