कुछ ताकतें मेरी आवाज... संभल हिंसा पुलिस चार्जशीट पर बोले ज़ियाउर रहमान बर्क 

अखिलेश यादव के करीबी बर्क इससे पहले समाजवादी पार्टी के विधायक थे. उनके दादा शफीकुर रहमान बर्क भी कई बार सांसद रहे.

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कहते हैं कि मुसीबत आती है तो चारों तरफ से. समाजवादी पार्टी के सांसद ज़ियाउर रहमान बर्क पर ये फिट बैठता है. जब से वे संभल के सांसद बने हैं, विवादों से उनका पीछा ही नहीं छूट रहा है. बिजली वाले केस में हाई कोर्ट से राहत मिली. पर अब संभल हिंसा के मामले में उन पर चार्जशीट दाखिल हो गई है. पुलिस ने चार्जशीट में जिया पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है. पिछले साल 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी. ये हिंसा शाही मस्जिद में सर्वे के ख़िलाफ़ हुई थी. 

'मैं न दारो-रसन से घबराया'

चार्जशीट होने के बाद से ही सांसद जियाउर रहमान बर्क ख़ामोश थे. पर अब उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी है. सोशल मीडिया में बर्क ने अपने मन की बात की है. उन्होंने लिखा है कुछ ताकतें मेरी आवाज दबाना चाहती हैं. क्योंकि मैं बिकता नहीं, झुकता नहीं हूं. घर का बिजली कनेक्शन कटने के मुद्दे पर उन्होंने कहा- सरकार और कुछ चैनलों ने मुझे बदनाम करने की कोशिश की. अल्लाह जिसे चाहे इज्जत देता है, जिसे चाहे जिल्लत देता है. मैं न दारो-रसन से घबराया, न कभी झुका. 

संभल हिंसा में बर्क पर आरोप

संभल हिंसा को लेकर जियाउर रहमान बर्क के खिलाफ MP MLA कोर्ट में मुक़दमा चल रहा है. उन पर हिंसा के लिए साज़िश रचने का आरोप है. ये बात अलग है कि हिंसा वाले दिन बर्क बेंगलुरु में थे. पर संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई का दावा है कि जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के चीफ के साथ मिलकर उन्होंने भीड़ को उकसाया था. बर्क ने चुप्पी तोड़ते हुए लिखा है - इंशा अल्लाह जैसा हूं,  जिस हाल में हूं, आपका हूं. मेरी सियासत दादा मोहतरम की तरह से कौम गरीब मजलूमों के लिए है.

आरोप साबित होने पर क्या होगा

संभल से पहली बार सांसद बने जियाउर रहमान बर्क कहते हैं - आज कुछ ताकतें मेरी आवाज दबाना चाहती हैं, क्योंकि मैं झुकता नहीं, बिकता नहीं और हर मजलूम के साथ मजबूती से खड़ा रहता हूं, सच के रास्ते पर चलते हुए कानून के दायरे में अपनी हक की आवाज को उठाता रहूंगा. हिम्मत से काम लें और अल्लाह पर यकीन कायम रखें. बर्क के खिलाफ 1100 पन्नों की चार्जशीट फाइल की गई है. अब इसमें ट्रायल शुरू होगा. अगर आरोप साबित हुए तो उनकी संसद सदस्यता भी जा सकती है. अखिलेश यादव के करीबी बर्क इससे पहले समाजवादी पार्टी के विधायक थे. उनके दादा शफीकुर रहमान बर्क भी कई बार सांसद रहे.

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