कानपुर में BJP कार्यकर्ताओं के खिलाफ 9 साल पुराना मुकदमा होगा वापस, योगी आदित्यनाथ सरकार ने लिया फैसला

अक्टूबर 2015 में एक धार्मिक पोस्टर के अपमान के बाद भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने यह मुकदमा दर्ज किया था.

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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है. यूपी बीजेपी लंबे समय अपने कार्यकर्ताओं पर लगे मुक़दमे हटाने की मांग कर रही थी. जिसके बारे में आख़िरकार गृह विभाग ने फ़ैसला ले लिया है. अक्टूबर 2015 में एक धार्मिक पोस्टर के अपमान के बाद भड़की हिंसा में दर्ज एक मुकदमे की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. फजलगंज थाने में दर्ज इस मुकदमे में बीजेपी के 31 कार्यकर्ता नामजद थे. शाम को पुलिस और उपद्रवियों के बीच हुए टकराव में दो पुलिसवालों के पैर में गोली भी लगी थी.

डीजीसी (क्राइम) दिलीप अवस्थी ने बताया कि शासन के दिशा-निर्देश डीएम के पास पहुंचने के बाद कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया जाएगा. उम्मीद है कि डीएम से एक-दो दिन में उन्हें औपचारिक चिट्ठी मिल जाएगी.

बिहार में विधानसभा चुनावों के दौरान अक्टूबर-2015 में कानपुर के दर्शनपुरवा में एक धार्मिक पोस्टर के अपमान के बाद जमकर बवाल हुआ था. दोनों तरफ से पहले समझौता हुआ, लेकिन बाद में उत्तेजक नारेबाजी और पथराव हुआ था. शाम को पुलिस और उपद्रवियों के बीच फायरिंग में दो पुलिसवालों के पैर में गोली लगी थी.

इसमें एक मुकदमे में बीजेपी से जुड़े 31 लोग नामजद हुए थे. शासनस्तर पर पैरवी के बाद विशेष सचिव मुकेश कुमार सिंह ने 8 अक्टूबर को कानपुर के डीएम को लेटर भेज मुकदमा वापस लेने की अनुमति दी थी. मुकदमे में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 153ए, 188, 295ए, 332, 353, 336, 7 सीएलए और 3 पीपीडी एक्ट लगाए गए थे. 

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