सपा नेता आजम खान से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने खुद को अलग किया 

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि जब तक मुख्य गवाहों की दोबारा गवाही नहीं कराई जाती और केस से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज रिकॉर्ड में नहीं लाई जाती तब तक केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है.

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लखनऊ:

सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान से जुड़े एक मामले में चल रही सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने खुद को अलग कर लिया है. दरअसल 2016 के रामपुर के चर्चित यतीमखाना बेदखली प्रकरण से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जून 2025 से लगातार सुनवाई चल रही है. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में पांच याचिकाएं दाखिल हुई है. अभी तक इस मामले में जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच सुनवाई कर रही थी. 

शुक्रवार को जब इस मामले में फाइनल हायरिंग के लिए कोर्ट में सभी पक्ष मौजूद थे तो मामला लिस्ट होने के बावजूद जस्टिस समीर जैन ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया. इस मामले में आरोपी सपा नेता आजम खान और वीरेंद्र गोयल की तरफ से कोर्ट में दलील रख रहे अधिवक्ता शाश्वत आनंद के मुताबिक जस्टिस समीर जैन ने ये फैसला कोर्ट में उपस्थित सभी अधिवक्ताओं के सामने सुनाया. 

सुनवाई के दौरान सह-आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफ़ए नक़वी और अधिवक्ता सैयद अहमद फैज़ान उपस्थित थे जबकि आजम खान और सह-आरोपी वीरेन्द्र गोयल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई जाफरी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद, और शशांक तिवारी मौजूद रहे. जस्टिस समीर जैन ने अब इस मामले को चीफ जस्टिस अरुण भंसाली के पास नई बेंच को नामित करने के लिए भेज दिया है. 

जस्टिस समीर जैन के इस मामले में अलग होने के बाद अब ये मामला दूसरी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा और इसके लिए चीफ जस्टिस से नामांकन (nomination) प्राप्त किया जाएगा मतलब अब इस मामले में दूसरी बेंच सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि यतीमखाना प्रकरण से जुड़े मामले में आरोपियों ने रामपुर ट्रायल कोर्ट के 30 मई 2025 के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. यह मामला 12 एफआईआर पर आधारित है जिन्हें बाद में मिलाकर स्पेशल केस नंबर 45/2020 बनाया गया था. 16 अक्टूबर को कोर्ट ने आजम खान व अन्य के खिलाफ अंतरिम राहत को बढ़ा दिया था. 

आज़म खान और सह-आरोपी वीरेंद्र गोयल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने पर रोक लगाने कि मांग की गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2016 के चर्चित बलपूर्वक बेदखली मामले में सुनवाई चल रही है. 15 अक्टूबर 2016 को रामपुर स्थित यतीम खाना, वक्फ संख्या 157 नामक वक्फ संपत्ति पर अनधिकृत ढांचे को ध्वस्त करने की कार्यवाई की गई थी.

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि जब तक मुख्य गवाहों की दोबारा गवाही नहीं कराई जाती और केस से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज रिकॉर्ड में नहीं लाई जाती तब तक केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है. आज़म ख़ान व उनके सहयोगी वीरेंद्र गोयल ने याचिका में ट्रायल कोर्ट के 30 मई 2025 के आदेश को चुनौती दी है. रामपुर ट्रायल कोर्ट ने उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया गया था. दोनों ने हाईकोर्ट से ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करने कि मांग की है. 

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इस मामले में 12 एफआईआर हुई है जो एक साथ जोड़ दी गई है जिसमें शिकायतकर्ताओं और मुख्य अभियोजन गवाहों, विशेष रूप से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़फर अहमद फारूकी को दोबारा बुलाने की अपील की गई थी. याचिका के अनुसार जिस वीडियोग्राफी का उल्लेख खुद फारूकी ने किया है. कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं की घटनास्थल पर अनुपस्थिति को साबित कर सकती है.

यह मुकदमा एफआईआर नंबर 528/2019 से 539/2019 और 556/2019 पर आधारित है. मुकदमा 2019 में रामपुर के कोतवाली थाना में दर्ज हुआ था. इन मामलों में आजम खान और अन्य पर डकैती, घर में अनधिकृत प्रवेश और आपराधिक षड्यंत्र जैसे संगीन आरोप लगाए गए थे. बाद में इन्हें एक साथ मिलाकर 8 अगस्त 2024 को विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) रामपुर द्वारा एकल वाद में परिवर्तित कर दिया गया था. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यह मुकदमा संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 20 और 21 का उल्लंघन है. 

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हाईकोर्ट में इस मामले में सह-आरोपी मोहम्मद इस्लाम उर्फ इस्लाम ठेकेदार, शाहिद प्रधान और आले हसन खान की याचिका पर एक साथ सुनवाई चल रही है. जस्टिस समीर जैन की कोर्ट ने सभी की याचिकाओं को सुनवाई के लिए एक साथ कनेक्ट करने का आदेश दिया था. सह-आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नक़वी और अधिवक्ता सैयद अहमद फैज़ान तथा आजम खान और उनके सहयोगी वीरेंद्र गोयल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई जाफरी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद, शशांक तिवारी और अंकुर आज़ाद दलीलें पेश कर रहे है. अब ये मामला नई बेंच सुनेगी. 

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की कोर्ट नंबर 73 जस्टिस समीर जैन संसद सदस्यों, विधान सभा सदस्यों और विधान परिषद सदस्यों से संबंधित जुड़े 2आपराधिक मामले की सुनवाई कर रहे है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित मामले और सीबीआई द्वारा जाँच किए गए मामले, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जाँच से जुड़े मामले, एनआरएचएम और गाजियाबाद जीपीएफ घोटाले के मामले, सीआरपीसी की धारा 407 और 447 बीएनएसएस के तहत आवेदन के साथ ही कराधान क़ानून से उत्पन्न आपराधिक मामलों में सुनवाई कर रहे है.

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खासतौर से एमपी/एमएमएलए मामलों में हाल ही में जस्टिस समीर जैन की कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुनाए है जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, स्वर्गीय मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी, कानपुर से सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी, संभल के संसद जियाउर्रहमान भी शामिल है. आजम खान के भी कई दूसरे मामलों में भी जस्टिस समीर जैन की कोर्ट ही सुनवाई कर रही है.

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