यूपी में नजूल की ज़मीन ( Nazul land bill)से जुड़ा एक बिल योगी सरकार (Yogi Adityanath) के गले की फांस बन गई है. नजूल यानी वो जमीन का टुकड़ा जिसका कोई वारिस नहीं होता. ये ज़मीन राज्य सरकार के अधीन आती है और राज्य सरकार अपने विवेक से किसी को लीज़ या पट्टे पर दे सकती है. इसी नजूल की जमीन से जुड़े एक विधेयक का यूपी में जमकर विरोध हो रहा है.
ऐसा शायद पहली बार हुआ है, जब योगी सरकार के किसी विधेयक को विधानसभा से मंजूरी मिलने के बावजूद विधान परिषद ने प्रस्ताव पास नहीं किया. इस विधेयक का विरोध न सिर्फ विपक्ष कर रहा है, बल्कि खुद बीजेपी के लोग भी इसके खिलाफ हैं.
योगी सरकार की क्या है दलील
दरअसल, योगी सरकार का मानना है कि नजूल की ज़मीन का सार्वजनिक इस्तेमाल किया जाए. इसलिए ऐसी जमीनों को किसी व्यक्ति या संस्था को देने की जगह सरकार इसका इस्तेमाल समाज कल्याण में कर सके, लेकिन इससे जुड़े विधेयक का न सिर्फ विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष और उसके सहयोगी भी विरोध कर रहे हैं.
सभापति ने मंजूर किया प्रस्ताव
सभापति ने भूपेंद्र चौधरी के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया. इस विधेयक का विरोध विपक्षी दल सपा और कांग्रेस के अलावा खुद बीजेपी के विधायक भी कर रहे हैं. बीजेपी के सहयोगी अपना दल, सुभासपा और निषाद पार्टी ने भी किया है.
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विधानसभा में ध्वनिमत से पास हुआ विधेयक
बुधवार को योगी सरकार ने नजूल संपत्ति विधेयक 2024 को विधानसभा में ध्वनिमत से पास करा लिया. गुरुवार को इस विधेयक को विधान परिषद में केशव मौर्य ने पेश किया, लेकिन बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की मांग पर इसे सदन ने पास करने की जगह प्रवर समिति को भेजने का फैसला किया.
क्या है नजूल विधेयक? इसे लेकर क्या है विवाद?
जिस ज़मीन का कोई वारिस न हो और वो सरकार के पास हो, उसे नजूल जमीन कहते हैं. नज़ूल संपत्ति विधेयक 2024 में कहा गया है कि ऐसी जमीन का जनहित में इस्तेमाल किया जाए. जिसके पास लीज़ पर नजूल की जमीन है, समय पूरा होने पर सरकार जमीन वापस लेगी. जिसने समय पर फीस नहीं भरी, उनकी लीज खत्म होगी. सिर्फ लीज़ एग्रीमेंट का पालन करने वाले का रिन्यू किया जाएगा.
विधान परिषद ने प्रवर समिति के पास भेजा विधेयक
विधान परिषद ने इस विधेयक को पास न करके इसे प्रवर समिति को भेज दिया है. प्रवर समिति किसी विशेष विधेयक की जांच के लिए होती है. किसी विधेयक पर आई आपत्तियों को लेकर ये विशेष समिति जांच कर सुझाव देने का काम करती है. प्रवर समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी. यानी फिलहाल ये राजनीतिक विवाद थम तो गया है, लेकिन ये विधेयक यूपी सरकार के लिए निश्चित तौर पर परेशानी का सबब ज़रूर बन गया है.
ओम प्रकाश राजभर ने जताई आपत्ति
यूपी में नजूल भूमि विधेयक को लेकर बीजेपी के सहयोगी सुभासपा अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि नजूल की जमीन पर बसे गरीबों को न उजाड़ने को लेकर जब तक व्यवस्था नहीं होगी, तब तक ये विधेयक पास नहीं होगा.