लखनऊ:
कभी बीमारू राज्य के रूप में पहचाना जाने वाला उत्तर प्रदेश, अब विकास की नई कहानी लिख रहा है. 25 करोड़ की आबादी वाला यह राज्य, जिसकी पहचान कभी खराब कानून व्यवस्था, टूटी सड़कों और रोजगार के लिए पलायन से होती थी. अब एक मिसाल बनकर उभरा है. इस बदलाव की कहानी पिछले कुछ सालों में लिखी गई है, जिसमें तीन बड़ी समस्याओं - कनेक्टिविटी, कानून व्यवस्था और रोजगार - को प्राथमिकता देकर काम किया गया.
बदलाव के मुख्य कारण
- कानून व्यवस्था में सुधार: निवेशकों में विश्वास जगाने के लिए सबसे पहले कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया गया.
- निवेशकों को सुविधाएं: सरकार ने निवेशकों के लिए कई रास्ते खोले और उन्हें हर तरह की सुविधा दी, जिससे राज्य में बड़े निवेश आए
- बेहतर कनेक्टिविटी: सड़क, रेल नेटवर्क और हवाई अड्डों का जाल बिछाया गया. आज यूपी में सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे (7 चालू, 6 निर्माणाधीन) हैं और 16 एयरपोर्ट्स के साथ यह हवाई कनेक्टिविटी में भी नंबर 1 पर है. इस साल के अंत तक जेवर में देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट भी शुरू हो जाएगा.
- आर्थिक विकास: सरकार ने सरकारी खजाने का सही इस्तेमाल किया और आम जनता को सहूलियतें देकर राजस्व बढ़ाया. जीएसटी कलेक्शन 2017 में ₹49,000 करोड़ से बढ़कर अब ₹1.15 लाख करोड़ हो गया है.
- रोजगार के अवसर: इन्वेस्टर समिट के जरिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आकर्षित किया गया, जिससे प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और रोजगार के नए साधन तैयार करने में मदद मिली.
विकास के आंकड़े
- यह बदलाव केवल दावों पर आधारित नहीं है, बल्कि आंकड़ों में भी साफ दिखता है.
- बजट: यूपी का वर्तमान बजट लगभग ₹8.25 लाख करोड़ है, जो देश में सबसे बड़ा है.
- कनेक्टिविटी: सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट्स के साथ यूपी अब देश के सबसे बेहतरीन कनेक्टिविटी वाले राज्यों में से एक है.
- जेवर एयरपोर्ट: इस साल के अंत तक शुरू होने वाला जेवर एयरपोर्ट भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा.
इस विकास गाथा के बावजूद, राजनीति में विरोध भी स्वाभाविक है. विपक्ष सरकार के दावों पर निशाना साधता रहा है, लेकिन यूपी की बढ़ती ताकत और विकास की रफ्तार से यह लक्ष्य अब असंभव नहीं दिखता. फिलहाल, राज्य ने एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, और अगर यह इसी दिशा में बढ़ता रहा, तो यह लक्ष्य भी हासिल कर लेगा.
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