उत्तर प्रदेश : आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे की सजा के फैसले के खिलाफ अपील खारिज

रामपुर की एक विशेष अदालत के अपर जिला सत्र न्यायाधीश विजय कुमार ने एमपी-एमएलए अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को जायज ठहराया

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान (फाइल फोटो).
रामपुर (उत्तर प्रदेश):

रामपुर की एक विशेष अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान, उनकी पत्नी एवं बेटे को जन्म प्रमाण पत्र मामले में अधीनस्थ अदालत द्वारा सात-सात वर्ष की कैद सजा सुनाए जाने के फैसले को उचित ठहराते हुए उसके विरुद्ध दायर अपील को खारिज कर दिया. 

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि अपर जिला सत्र न्यायाधीश (सांसद-विधायक अदालत) विजय कुमार ने रामपुर की अधीनस्थ एमपी-एमएलए अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को जायज ठहराते हुए आजम खान, उनकी पत्नी एवं बेटे की अपील को खारिज कर दिया.

रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत के मजिस्ट्रेट शोभित बंसल ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 18 अक्टूबर, 2023 को सात साल की कैद सजा सुनाई थी और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. फैसले के बाद, तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था और अदालत से ही जेल भेज दिया गया था.

Advertisement

इसी फैसले को चुनौती दी गई थी. तब आजम खान, अब्दुल्ला आजम खान और डॉ तंजीन फातिमा को अदालत में पेश होने के लिए समन किया गया था. आजम खान सीतापुर जेल और अब्दुल्लाह आजम खान हरदोई जेल से तथा डॉक्टर तंजीन फातिमा रामपुर जिला जेल से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रामपुर की एमपी एमएलए अदालत (सेशन ट्रायल) के न्यायाधीश विजय कुमार की अदालत में पेश हुए और अदालत ने अपील पर फैसला सुनाया.

Advertisement

रामपुर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने बताया था कि उन्होंने तीन जनवरी 2019 को गंज थाने में मामला दर्ज कराया जिसमें आरोप लगाया था कि खान और उनकी पत्नी तजीन ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने में मदद की थी. इसमें कहा गया था कि इनमें से एक प्रमाणपत्र लखनऊ से जबकि दूसरा रामपुर से बनवाया गया था. इसी मामले में अदालत ने तीनों को सात-सात वर्ष की कैद सजा सुनाई.

Advertisement

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) 1951 के प्रावधानों के तहत दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले किसी भी जनप्रतिनिधि को सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और सजा काटने के बाद अगले छह साल तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक रहती है.

Advertisement

रामपुर से 10 बार विधायक रहे आजम खान 2022 में भी इसी सीट से चुने गए थे, लेकिन पिछले साल नफरती बयान प्रकरण में स्थानीय अदालत द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी. आजम खान लोकसभा और राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं.

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार सीट से जीतने वाले अब्दुल्ला को 2008 में एक लोक सेवक को गलत तरीके से रोकने के लिए उस पर हमला करने के आरोप में मुरादाबाद की एक अदालत ने पहले ही दोषी ठहराया था. इस साल फरवरी में दोषी ठहराए जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद अब्दुल्ला को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी तिवारी ने बताया कि हालांकि पड़ोसी से मारपीट के एक अन्य मामले में आजम खान और उनके परिजनों को एक अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. उन्होंने बताया कि यह मामला आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान और मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत्त हुए उनके बड़े भाई एवं भतीजे को लेकर गंभीर आपराधिक धाराओं में दर्ज किया गया था. यह मामला आजम खान के पड़ोसी मोहम्मद अहमद द्वारा दर्ज कराया गया था. इस मामले में आरोप था कि वादी के द्वारा खरीदे गए एक प्लॉट को अपने नाम कराने के लिए उसके ऊपर अभियुक्तों द्वारा हमला किया गया था तथा धमकी दी गई थी कि या तो वो प्लाट नाम करा दे वरना उसके एवज में 50 लाख रुपये अदा करे.

विवेचना अधिकारी ने आजम खान के बड़े भाई मोहम्मद शरीफ खान एवं भतीजे बिलाल खान तथा मोहम्मद आजम खान और अब्दुल्ला आजम खान के विरुद्ध संबंधित धाराओं में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. यह मामला विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए की अदालत में चल रहा था जिसमें आज फैसला सुनाते हुए अदालत ने चारों अभियुक्तों को बरी कर दिया.

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि पड़ोसी वाला मामले में अदालत ने साक्षी के अभाव में आरोपियों को दोषमुक्त किया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Mohali Building Collapse News: Basement में अवैध खुदाई से ढह गई बहुमंज़िला इमारत