- दिल्ली के लाल किले के मेट्रो स्टेशन के पास हुए बम धमाके में श्रावस्ती के दिनेश कुमार मिश्रा की मौत हो गई.
- दिनेश कुमार मिश्रा 15 सालों से दिल्ली में इनविटेशन कार्ड की दुकान पर काम करते थे.
- दिनेश का परिवार गांव में रहता था और वह परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था.
दिल्ली कार धमाके की धमक श्रावस्ती तक सुनाई दे रही है. इस धमाके ने दिल्ली को ही नहीं बल्कि श्रावस्ती को भी दहला दिया है. क्योंकि दिल्ली कार ब्लास्ट में मारे गए 13 लोगों में श्रावस्ती का एक युवक भी शामिल है. यह शख्स दिल्ली में इनविटेशन कार्ड की दुकान पर काम करता था. इस हादसे ने यूपी के एक गरीब एक परिवार की खुशियों को उजाड़ कर रख दिया है. अब उसके पिता, पत्नी और बेटे-बेटियों का क्या होगा.
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श्रावस्ती के दिनेश कुमार की बम धमाके में मौत
सोमवार रात दिल्ली के लाल किले के मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण कार धमाके में श्रावस्ती के दिनेश कुमार मिश्रा की भी मौत हो गई. दिनेश श्रावस्ती के थाना इकौना के चिकनी पुरवा के गणेशपुर गांव का रहने वाला था. दिल्ली में 15 सालों से वह इनविटेशन कार्ड की दुकान पर मजदूरी का काम करता था. बता दें कि दिनेश मिश्रा अपने तीन भाई और एक बेटे के साथ दिल्ली में रहता था. जबकि उसकी पत्नी और उसकी 2 बेटियां गांव में ही रहती हैं.
परिवार में इकलौता कमाने वाला था दिनेश
दिनेश दिल्ली में काम कर जो पैसे कमाता था उसी से उसका घर चलता था. लेकिन सोमवार रात कार ब्लास्ट के बाद उसके परिवार का ये सहारा भी खत्म हो गया. उसकी मौत से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. परिवार यह समझ ही नहीं पा रहा है कि एक झटके में उसके साथ ये हुआ क्या.
बेटे की मौत से टूट गए बूढ़े पिता
पिता भूरे ने बताया कि जब उन्होंने टीवी में देखा की दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास कार धमाका हुआ है. तो उन्होंने अपने बड़े बेटे के पास फोन मिलाया और सब बेटों की जानकारी ली. लेकिन दिनेश का फोन नहीं मिला. काफी तलाशी के बाद पता चला दिल्ली कार ब्लास्ट ने दिनेश की भी जिंदगी छीन ली है.
दिल्ली ब्लास्ट ने मेरा सबकुछ छीन लिया
पत्नी रीना ने बताया कि दिनेश 10 से 12 सालों से दिल्ली में काम कर रहा था. वह अपने परिवार का इकलौता सहारा था. उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. लेकिन दिल्ली बम ब्लास्ट ने उसका सब कुछ छीन लिया. दिनेश के पिता का हाल भी बहुत बुरा है. बूढ़ी आंखें बेटे की मौत का दर्द झेल ही नहीं पा रही हैं.














