'भूत' ने ही अपने दुश्मनों के खिलाफ दर्ज करवा दी FIR, पुलिस को बयान भी दिया, अनोखे केस से हाईकोर्ट सन्न

ये मामला जब हाईकोर्ट आया तो कोर्ट से सभी पहलू की जांच कर कुशीनगर एसपी से पूछा कि कोई मरा हुआ व्यक्ति या कोई भूत भी FIR करा कर निर्दोषों को फंसा सकता है. (दीपक गंभीर की रिपोर्ट)

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नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया है. यह मामला यूपी के कुशीनगर का है. दरअसल, मरने के तीन साल बाद मृत व्यक्ति ने पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाई. अब आप भी सोच रहे होंगे आखिर भूत एफआईआर कैसे करवा सकता है? इस पूरे मामले को जानने के लिए पूरी कहानी जानिए.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, दरअसल, कुशीनगर में एक मृतक व्यक्ति के नाम से सन 2014 में एक जमीन के विवाद में एक ही परिवार के पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया था. जिसमें मरने के तीन साल बाद शब्द प्रकाश नाम के व्यक्ति की तरफ से FIR दर्ज करा देने के बाद कुशीनगर के पुलिस विवेचना अधिकारी द्वारा उस शख्स का बयान भी दर्ज कर चार्जशीट दाखिल कर दी गई. अब सवाल ये उठ रहा है कि जब शब्द प्रकाश की मौत हो गई थी तो एफआईआर कैसे दर्ज हुई? इस केस को जानने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट भी सन्न रह गया.

इस अनोखे मामले में प्रकाश में आने के बाद जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी आश्चर्य में पड़ गए और कहा कि केस के तथ्य से वह अवाक है. बेंच ने कहा कि किस तरह पुलिस अपराध की विवेचना करती है कि पुलिस ने तीन साल पहले मरे आदमी का बयान दर्ज कर लिया. कोर्ट ने एसपी कुशीनगर को निर्देश दिया कि भूत निर्दोष को परेशान कर रहा है, विवेचना अधिकारी को अपना बयान दर्ज करा रहा है ऐसे विवेचना अधिकारी की जांच कर रिपोर्ट पेश करें.साथ ही याची पुरूषोत्तम सिंह व चार अन्य के खिलाफ आपराधिक केस कार्यवाही को रद्द कर दिया है.

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ये मामला जब हाईकोर्ट आया तो कोर्ट से सभी पहलू की जांच कर कुशीनगर एसपी से पूछा कि कोई मरा हुआ व्यक्ति या कोई भूत भी FIR करा कर निर्दोषों को फंसा सकता है.

कोर्ट ने कहा कि ममता देवी ने अधिवक्ता विमल कुमार पाण्डेय को मृत व्यक्ति का वकालतनामा हस्ताक्षरित करके दिया है.कोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा है कि वकील को भविष्य में सावधानी बरतने की सीख दें. शिकायतकर्ता शब्द प्रकाश की मौत 19 दिसंबर 2011 को हो गई थी. जिसका जिक्र सीजेएम कुशीनगर की रिपोर्ट में भी किया गया है. उन्होंने मृतक की पत्नी के बयान व मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर रिपोर्ट दी. मामले के अनुसार मृत व्यक्ति के भूत ने 2014 में कुशीनगर के कोतवाली हाता में एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस ने 23 नवंबर 14 को चार्जशीट दाखिल कर दी और भूत को अभियोजन गवाह नामित कर दिया.याचिका में केस कार्यवाही की वैधता को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की गई थी.

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कोर्ट ने कहा कि वो इस बात पर अवाक है कि जांच अधिकारी द्वारा मृत व्यक्ति का बयान दर्ज करके किस प्रकार जांच की गई. इसलिए न केवल थाना कोतवाली हाटा, जिला कुशीनगर में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 1028/2014 की आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 की कार्यवाही को रद्द किया जाता है. बल्कि यह निर्देश दिया जाता है कि एसपी कुशीनगर वर्तमान मामले के तथ्यों पर ध्यान देंगे कि एक भूत कैसे एफआईआर दर्ज करके अपना बयान देकर निर्दोष व्यक्ति को परेशान कर रहा है और संबंधित विवेचना अधिकारी के खिलाफ जांच करेंगे और इस मामले को रिकॉर्ड में रखा जाएगा.

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