UP: केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price या FRP) मूल्य में 5 रुपए की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया. अब गन्ना FRP को 290 रुपए कर दिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गन्ना किसानों को इसका कोई लाभ नहीं है. UP में चीनी का कटोरा कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी के किसान सरकार के इस फैसले से खुश नही हैं. दरअसल, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की घोषणा से पहले ही उत्तर प्रदेश में गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य यानी SAP 325 रुपए क्विंटल है. बागपत और मुजफ्फरनगर के गन्ना किसानों के बीच भारत सरकार के इस घोषणा के प्रति कोई उत्साह नहीं है.
गन्ने के FRP में वृद्धि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के मुकाबले अपर्याप्त : टिकैत
बागपत के तिकोना गांव के बड़े गन्ना किसान संजीव कुमार 100 बीघे में हर साल 10 से 12 लाख रुपए गन्ने की पैदावार करते हैं लेकिन इसके बाद भी उनकी आर्थिक हालत खराब है. बिजली, डीजल और खाद के बढ़े दाम के चलते गन्ने की एक बीघे की फसल पर 10 से 12 हजार रुपए की भर्ती लग रही है. ऊपर से पिछले साल नवंबर से चीनी मिल उनका बकाया पांच लाख रुपए नहीं दे रही है. गन्ना किसान संजीव बताते हैं, ' भारत सरकार के FRP बढ़ाने से हमें कोई फायदा नहीं है. केंद्र सरकार का FRP अब 290 रुपए हो गया लेकिन इससे ज्यादा कीमत यूपी सरकार में 325 रुपये मिलती है.जब राज्य सरकार यह रेट बढ़ाएगी तब हमें फायदा मिलेगा.' संजीव ने कहा कि तीन साल से हमारे दाम नहीं बढ़े हैं जबकि डीजल मजदूरी सब महंगी हो गई है.
यूपी सरकार मे तीन साल पहले गन्ने के समर्थन मूल्य पर 10 रुपए की बढ़ोत्तरी की थी लेकिन उसके बाद गन्ना दाम परामर्श कमेटी ने भी उप्र में 400 रुपए प्रति क्विंटल दाम बढ़ाने का सुझाव दिया था लेकिन फिलहाल वो ठंडे बस्ते में है जबकि इस बीच डीजल और बिजली के दाम दो गुने हो गए हैं. गौरतलब है कि चुनावी साल होने के चलते पहले पंजाब ने गन्ने का दाम बढ़ाकर 350 रुपए कर दिया..जबकि यूपी में 325 रुपए ही है. गन्ने के मूल्य को लेकर राजनीति भी हो रही है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करके यूपी सरकार पर निशाना साधा है. हालांकि जानकार मानते हैं कि अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूपी में गन्ने के दामों में इस साल बढ़ोत्तरी हो सकती है.