इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ के एक होटल में आग लगने की घटना से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विकास और आवास प्राधिकरणों के नियमन में कथित चूक के लिए गुरुवार को राज्य सरकार से नाखुशी जताई. राज्य की ओर से पेश वकील जनहित याचिका के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के प्रश्नों का उचित उत्तर नहीं दे सके, जिसके चलते अदालत ने नाखुशी जताई.
अदालत ने इस महीने की शुरुआत में शहर के पॉश इलाके हजरतगंज के लेवाना सूइट्स होटल में आग लगने के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
पिछली सुनवाई में पीठ ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी और मुख्य अग्निशमन अधिकारी से विस्तृत जवाब मांगा था. राज्य सरकार के वकील शैलेंद्र सिंह ने जब अदालत में दमकल अधिकारी का जवाब पेश किया तो उसने हलफनामा तैयार करने के तरीके पर नाखुशी जताई.
पीठ ने इस बारे में पूछा तो वकील ने और समय मांगा. इस पर अदालत ने पूछा कि जब वह पहले ही सरकार को पर्याप्त समय दे चुकी थी तो एक विस्तृत हलफनामा क्यों नहीं तैयार किया गया. पीठ ने वकील की चुप्पी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अगली सुनवाई के लिए 3 नवंबर की तारीख तय की और राज्य को एक विस्तृत हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया.
यह भी पढ़ें -
-- "गंभीर चिंता..." : भारत ने UN में यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का किया 'सख्ती से' आह्वान
-- गुरुग्राम में आफत की बारिश : प्रशासन की लोगों से अपील - घर से ही करें काम, स्कूल भी बंद