अयोध्या: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि भगवान राम साक्षात धर्म के स्वरूप हैं और राम मंदिर पूर्वजों के बलिदान और उनकी भावनाओं की सिद्धि है. शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के बड़ा भक्तमाल में विराजमान भगवान सीता-वल्लभ को सोने का मुकुट और छत्र अर्पित करने के उपरांत अपने संबोधन में कहा कि लंबे संघर्ष के बाद मंदिर आंदोलन एक निर्णायक स्थिति में पहुंचा.
उन्होंने कहा, ''अयोध्या कैसी होनी चाहिए? यह तो इसकी शुरुआत है. भगवान राम साक्षात धर्म के स्वरूप हैं और राम मंदिर पूर्वजों के बलिदान और भावनाओं की सिद्धि है.'' योगी ने कहा कि पहले लोग अपने आप को हिंदू और भारतीय बताने में संकोच करते थे, लेकिन आज हर व्यक्ति सनातन व भारतीयता के प्रति सम्मान का भाव रखता है.
उन्होंने कहा कि 500 वर्षों तक चले लंबे संघर्ष के बाद रामलला 22 जनवरी को विराजमान होने जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करने आ रहे हैं, ऐसे में अयोध्यावासियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को सफल बनाने और उसे ऊंचाई तक ले जाने के लिए अयोध्या वासियों को जिम्मेदारी संभालनी होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा, ''आज एक नये भारत का दर्शन हो रहा है. दीपोत्सव में 52 देश के राजदूत आए थे. दीपोत्सव का प्रचार 52 देश में हुआ. भविष्य में कई कार्यक्रम होने जा रहे हैं. बड़ा भक्तमाल में मुकुट अर्पण समारोह भविष्य के कार्यक्रम की आधारशिला है.''
उन्होंने कहा, ''अयोध्या के सुंदरीकरण की योजना को भी इससे बल मिला है. मानवीय जीवन के सभी हिस्से राम के आदर्शों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं. अयोध्या हमेशा से सेवा के प्रति समर्पण की मिसाल रही है. नर सेवा ही नारायण सेवा है, यह यहां के धार्मिक आयोजनों में दिखती है.''
योगी ने कहा कि 22 जनवरी के बाद अयोध्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे और अयोध्या को आतिथ्य सत्कार का एक आदर्श प्रस्तुत करना होगा. उन्होंने कहा कि यही प्रभु के महायज्ञ में हम सब की आहुति मानी जाएगी.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो भी आए, यहां के आतिथ्य से प्रभावित होकर जाए. यही संदेश अयोध्या से जाना चाहिए. इस अवसर पर देशभर के मठ-मंदिरों के महंतगण व साधु-संत जन मौजूद रहे.