प्रयागराज आंदोलन : प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बीजेपी की डबल डोज वाली रणनीति 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) का प्रयागराज में छात्रों के आंदोलन को लेकर अलग रुख नजर आया. ऐसे में इसे बीजेपी की डबल डोज वाली रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

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लखनऊ:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रयागराज में छात्रों के प्रदर्शन (Prayagraj Student Protest) को लेकर कई भाजपा नेताओं का दावा था कि इसमें समाजवादी पार्टी के लोग शामिल हैं. भाजपा के सहयोगी दलों के नेता भी सुर में सुर मिलाने लगे. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने तो यहां तक कह दिया कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता उपद्रव कर रहे हैं. हालांकि प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का शुरुआत से ही अलग स्‍टैंड रहा. उन्होंने एक तरह से प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे छात्रों का समर्थन ही किया. 

प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर 11 नवंबर को छात्रों का प्रदर्शन शुरू हुआ. अगले दिन यानी 12 नवंबर को केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया में पोस्ट किया. डिप्टी सीएम मौर्य ने लिखा " यूपी पीसीएस परीक्षा में एक से अधिक दिन की परीक्षा, निजी संस्थानों को केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया को लेकर छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं. छात्रों की मांग है कि परीक्षाएं पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि उनकी मेहनत का सम्मान हो और भविष्य सुरक्षित रहे."  

प्रयागराज रही है मौर्य की कर्मभूमि 

केशव प्रसाद मौर्य मूल रूप से तो कौशांबी जिले के हैं. हालांकि राजनैतिक रूप से प्रयागराज उनकी कर्मभूमि रही है. मौर्य फूलपुर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. इस नाते उनका नैतिक समर्थन आंदोलन कर रहे छात्रों के साथ रहा, लेकिन इस मुद्दे पर वे लगातार समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर हमलावर रहे. 

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यूपी लोक सेवा आयोग ने छात्रों की मांगें मान ली है, जिसके बाद मौर्य ने सोशल मीडिया में कई पोस्ट किए. एक पोस्ट में वे लिखतें हैं, "प्रयागराज में आंदोलनरत प्रतियोगी छात्रों की मांग मान ली गई और सरकार ने एक शिफ्ट में परीक्षा कराने का बड़ा फैसला लिया, लेकिन अखिलेश यादव और उनके समर्थक जो छात्रों की आवाज बनने का ढोंग कर रहे थे, अब उनकी असलियत सामने आ गई है. भेस बदलकर माहौल खराब करने और छात्रों को भड़काने की उनकी चालें नाकाम हो गई हैं. यह फैसला उन सभी के मुंह पर करारा तमाचा है, जो सिर्फ राजनीति की रोटियां सेंकने में लगे हैं, न कि छात्रों का भविष्य सुधारने में."

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10 साल पहले भी थे छात्रों के साथ 

वक्त बदला, हालात बदले, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य नहीं. इसे समझने के लिए दस साल पीछे की एक घटना का जिक्र जरूरी है. जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे. प्रयागराज में प्रतियोगी छात्र ऐसे ही विरोध प्रदर्शन पर थे,  उस वक्‍त केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के विधायक थे. वे इन प्रतियोगी छात्रों का नेतृत्व कर रहे थे. 

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मौर्य के खिलाफ दर्ज हुआ था केस 

यह बात 12 जनवरी 2014 की है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ भवन के बाहर प्रदर्शन हो रहा था. वहां के छात्र यूपी लोक सेवा आयोग के खिलाफ गुस्‍से में थे. केशव प्रसाद मौर्य ने तब छात्रों का साथ दिया था. इस पर उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में केस हुआ था.

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यह मुकदमा प्रयागराज के करनलगंज थाने में दर्ज हुआ था. उसी एफआईआर की कॉपी अब सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. 

प्रतिष्‍ठा का सवाल बनी फूलपुर सीट 

उत्तर प्रदेश में इन दिनों उपचुनाव हो रहा है. विधानसभा की नौ सीटों में से एक सीट फूलपुर की भी है, जो प्रयागराज जिले में पड़ता है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज फूलपुर में ही चुनावी सभा की.

वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इस विधानसभा सीट के प्रभारी भी हैं. फूलपुर उनके लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. इसीलिए वह शुरुआत से ही आंदोलन कर रहे स्टूडेंट के साथ हैं. 

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