14 दिन में छोड़ दो ऑफिस... यूपी में क्यों खाली कराया जा रहा सपा कार्यालय, 30 साल पहले क्या हुआ था?

मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय प्रशासनिक कार्रवाई के घेरे में आ गया है. प्रशासन ने सिविल लाइंस स्थित सपा कार्यालय को दो हफ़्ते के अंदर खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है, क्या है पूरा मामला पढ़ें.

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  • मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय को प्रशासन ने दो हफ्ते में खाली करने का नोटिस दिया है
  • सपा कार्यालय का भवन 1994 में मुलायम सिंह यादव के नाम पर किराए पर आवंटित हुआ था, लेकिन ट्रांसफर नहीं हो सका
  • प्रशासन ने भवन का आवंटन निरस्त कर दिया और नोटिस में रोजाना हजार रुपये जुर्माने की चेतावनी दी है
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मुरादाबाद:

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी (SP) का जिला कार्यालय अब प्रशासनिक कार्रवाई के घेरे में आ गया है. जिला प्रशासन ने सिविल लाइंस स्थित सपा कार्यालय को दो हफ़्ते (14 दिन) के अंदर खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है, जिससे शहर की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.

क्या है पूरा मामला?

सपा कार्यालय, जिसे स्थानीय तौर पर कोठी नंबर-4 के नाम से जाना जाता है, इसके आवंटन को निरस्त किए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है. यह भवन मूल रूप से 13 जुलाई 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर ₹250 महीने के किराए पर आवंटित हुआ था. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद, यह भवन समाजवादी पार्टी के नाम पर ट्रांसफर नहीं हो सका. इसी तकनीकी चूक के कारण, प्रशासन ने 1 अगस्त को भवन का आवंटन निरस्त कर दिया था, और अब खाली करने का नोटिस जारी किया गया है. 

जुर्माना लगेगा ₹1000 प्रतिदिन

एडीएम फाइनेंस ममता मालवीय द्वारा जारी नोटिस में साफ कहा गया है कि अगर सपा कार्यालय को दो हफ़्ते की तय समय सीमा के भीतर खाली नहीं किया गया, तो पार्टी से रोजाना ₹1000 का जुर्माना वसूला जाएगा. यह सख्ती 30 साल पुराने इस दफ्तर पर संकट खड़ा कर सकती है। 

सपा ले रही है विधिक सलाह

प्रशासन की इस कार्रवाई पर समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सपा जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने कहा कि पार्टी इस नोटिस पर विधिक सलाह (कानूनी राय) ले रही है. उन्होंने आश्वस्त किया कि कानूनी सलाह लेने के बाद जल्द ही प्रशासन को इसका जवाब दिया जाएगा. 

फिलहाल, इस नोटिस के कारण मुरादाबाद में राजनीतिक पारा चढ़ गया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा कानूनी लड़ाई लड़कर अपने पुराने दफ्तर को बचा पाती है, या प्रशासन की सख्ती के आगे उसे यह जगह खाली करनी पड़ेगी.

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