कौन थे मिहिर भोज? मेरठ में महापंचायत के बहाने फिर गरमाया गुर्जर-राजपूत विवाद

मिहिर भोज के काल को भारतीय इतिहास में 'तीन साम्राज्यों के युग' के नाम से जाना जाता है, जब पश्चिमी भारत में गुर्जर-प्रतिहार, पूर्व में पाल और दक्षिण में राष्ट्रकूट साम्राज्य थे. कन्नौज पर नियंत्रण के लिए इन तीनों के बीच संघर्ष होता था. मिहिर भोज ने कन्नौज पर अधिकार स्थापित कर अपने साम्राज्य को मजबूत किया था. उन्होंने कालिंजर, गुर्जरात्र प्रदेश और हरियाणा क्षेत्र पर भी विजय प्राप्त की थी.

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  • मेरठ के कपसाड़ गांव में बिना अनुमति गुर्जर महापंचायत आयोजित हुई
  • प्रशासन ने महापंचायत की अनुमति नहीं दी, रोकने पर भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर हंगामा
  • मिहिर भोज प्रतिहार वंश के शक्तिशाली शासक थे, 8वीं और 9वीं सदी में कन्नौज पर शासन
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मेरठ:

सम्राट मिहिर भोज को लेकर विवाद कोई नई नहीं बात नहीं है. यूपी के मेरठ में एक महापंचायत हुई, जिसके बाद गुर्जर और राजपूतों के बीच के पुराने विवाद का जिन्न बोतल से फिर बाहर आ गया. दरअसल ये मामला तब गरमाया जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में रविवार को बिना इजाजत के आयोजित गुर्जर महापंचायत को लेकर भारी हंगामा हो गया. प्रशासन के रोकने पर उग्र हुई भीड़ ने पुलिस पर कथित रूप से पथराव कर दिया. पुलिस ने इस मामले में 22 लोगों के खिलाफ नामजद और अनेक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. अधिकारियों ने बताया कि सरधना क्षेत्र के कपसाड़ गांव में गुर्जर महापंचायत बुलाई गई थी.

महापंचायत से चर्चा में आए मिहिर भोज

इस महापंचायत में सम्राट मिहिर भोज स्मृति द्वार का बोर्ड हटाने और गुर्जरों की राजनीतिक दलों से टिकटों में हिस्सेदारी जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी थी. लेकिन प्रशासन ने इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी थी. मेरठ में हुए भारी हंगामे के बाद मिहिर भोज एक बार फिर चर्चा में आ गए. ऐसा पहली बार नहीं जब मिहिर भोज को लेकर विवाद हुआ हो इससे पहले भी यूपी, हरियाणा और एमपी से मिहिर भोज को लेकर हंगामे की घटना सामने आ चुकी है तो चलिए जानते हैं कि मिहिर भोज कौन थे, जिन पर आए दिन हंगामा होता रहता है.

कौन थे मिहिर भोज

बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफ़ेसर वीडी महाजन अपनी पुस्तक मध्यकालीन भारत में लिखते हैं कि मिहिरभोज प्रतिहार वंश के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे. जिन्होंने 836 ईस्वी से लेकर 885 ईस्वी तक शासन किया और कन्नौज पर अपना कब्ज़ा बरक़रार रखा. दरअसल यह वो समय था जब कन्नौज पर अधिकार के लिए बंगाल के पाल, उत्तर भारत के प्रतिहार और दक्षिण भारत के राष्ट्रकूट शासकों के बीच क़रीब सौ साल तक संघर्ष का सिलसिला चलता रहा, जिसे इतिहास में "त्रिकोणात्मक संघर्ष" कहा जाता है.

हालांकि गुर्जर शब्द को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. वहीं दूसरी तरफ कुछ इतिहासकारों का कहना है कि गुर्जर शब्द इनके नाम के साथ इसलिए जुड़ा है क्योंकि ये लोग हूणों के साथ भारत आए थे और जिस जगह से आए थे, उसे अपनी पहचान के तौर पर अपने नाम के साथ इस्तेमाल करते रहे. हालांकि कई इतिहासकार इससे अलग मत भी रखते हैं.

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मिहिर भोज पर विवाद क्या है?

मामला मेरठ के दौराला थाना इलाके दादरी पुलिया के पास का है. जहां सम्राट मीहिर भोज को लेकर क्षत्रिय समाज कई जगह बोर्ड लगा रहा है और गुर्जर समाज इसका विरोध कर रहा है, गुर्जर समाज समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र भाटी ने कहा, "हमें फांसी लगा दो, क्या हमें अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है.". असल में गुर्जर समाज का कहना है कि मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक थे, इसलिए उनके नाम के साथ 'राजपूत' शब्द जोड़ना इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना है.

गुर्जर समाज ने या तो बोर्ड हटाने या उसमें 'गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज' लिखने की मांग की है. गांव के कुछ लोग इसे हटाने के विरोध में हैं. इस विवाद के चलते प्रशासन अलर्ट है और पुलिस गांव में तैनात है. इससे पहले हरियाणा में भी मिहिर भोज को लेकर राजपूत और गुर्जर आमने-सामने आ गए थे. ये विवाद तब हुआ था जब उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. गुर्जर समाज का दावा है कि मिहिर भोज उनके वंशज थे और "गुर्जर प्रतिहार" वंश के शासक थे. वहीं राजपूत समाज का कहना है कि वे क्षत्रिय राजपूत थे और "गुर्जर" शब्द केवल एक भौगोलिक क्षेत्र (गुर्जरदेश) को दर्शाता है, न कि जाति को.

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