केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता से ही ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की रचना होगी. अमित शाह ने शुक्रवार की शाम काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथियेटर ग्राउंड में 'काशी-तमिल संगमम' के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आजादी के बाद भी एक समय ऐसा आया कि देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने का प्रयास किया गया. कई प्रकार के अलग-अलग विचारों के माध्यम से, सूत्रों के माध्यम से एक ही देश के दो विचारों को विमुख करने का प्रयास किया गया, परंतु अब समय आ गया है ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' की रचना करने का और वह भारत की सांस्कृतिक एकता से ही हो सकता है.''
बिना नाम लिए गैर भाजपा सरकारों पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, ‘‘बहुत लंबे समय से हमारी देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था. मोदी जी ने काशी तमिल संगमम के माध्यम से सदियों के बाद संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास किया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि यह प्रयास आने वाले दिनों में सिर्फ काशी और तमिल हीं नहीं, पूरे देश की भाषा और संस्कृतियों को जोड़ने का एक सफल प्रयास होगा.''
गृह मंत्री ने कहा, ''यह प्रयास आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था, काफी साल तक नहीं हुआ, गुलामी के एक लंबे काल खंड ने हमारी सांस्कृतिक एकता, हमारी विरासत की विविधता और हमारी अलग-अलग संस्कृतियों के अंदर भारतीय आत्मा की एकरूपता को कुछ हद तक मलिन किया था, उसको पुनर्जागरण की जरूरत थी और आजादी के तुरंत बाद यह प्रयास होना चाहिए था, लेकिन यह प्रयास नहीं हुआ.''
काशी-तमिल संगमम का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए अमित शाह ने कहा, ''मुझे आनन्द है कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सांस्कृतिक एकता का पुनर्जागरण किया है. मैं इसके लिए मोदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.''
उन्होंने कहा, ''यह एक प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी तमिल संगमम की परिकल्पना की पूर्णाहुति होने जा रही है, मगर मैं इतना कहना चाहता हूं कि यह पूर्णाहुति नहीं है, बल्कि यह शुरुआत है.'' शाह ने कहा, ''भारतीय संस्कृति के दो उत्तुंग शिखर तमिलनाडु की संस्कृति, दर्शन, भाषा, कला, ज्ञान और सकल विश्व में जिसकी मान्यता है, ऐसी काशी की नगरी की सांस्कृतिक विरासत की मिलन की शुरुआत है और यहीं से यह रास्ता आगे जाने वाला है.''
उन्होंने कहा, ''भारत अनेक प्रकार की संस्कृतियों से बना देश है, अनेक प्रकार की भाषा, अनेक प्रकार की बोलियां और अनेक कलाएं हैं मगर सबके बीच में बारीकी से देखें तो उसकी आत्मा एक है और वह भारत की आत्मा है.''
शाह ने कहा, ''इसलिए जो दुनिया भर के देशों के अस्तित्व की रचना का अभ्यास करने वाले पंडित कहते हैं कि भारत एकमात्र देश है जो संस्कृति के आधार पर बना देश है. हमारे देश की एकात्मकता का आधार हमारी संस्कृतियां हैं.''
इतिहास का हवाला देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि दक्षिण से आकर आदि शंकराचार्य ने अपने ब्रह्म सूत्र टीका पर काशी के विद्वानों के बीच स्वीकृति पाई और उसके बाद यह मोदी जी का सबसे सफल प्रयास है.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की संस्कृति और काशी के बीच एक सेतु बनाने का काम किया है और यहीं से भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत होने वाली है.
शाह ने यह भी कहा कि आज इसी काशी तमिल संगमम में पता चला कि तमिल भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषा में एक है.
उन्होंने कहा, ''मैं काशी वालों का धन्यवाद करना चाहता हूं, तमिलनाडु से आए हुए सभी भाई-बहनों का काशीवासियों ने मन से स्वागत किया है. तमिलनाडु वाले काशी को कभी भूल नहीं सकते.''
समापन समारोह को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, '' उत्तर प्रदेश भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं तमिलनाडु भी कला, संस्कृति, ज्ञान की प्राचीन परंपराओं का नेतृत्व करता है.'' उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम प्रधानमंत्री की एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करता है. उन्होंने कहा कि महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी न तमिलनाडु से आकर काशी की धरती को ज्ञान व साहित्य की एक समृद्ध परंपरा दी है. भारत सरकार के साथ मिलकर उनके पवित्र स्मारक को भव्य रूप देने में उप्र सरकार अपना भरपूर योगदान देगी.
समारोह को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी संबोधित किया. प्रधान ने अंगवस्त्र देकर अमित शाह का स्वागत किया.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित करीब एक माह तक वाराणसी में चले 'काशी-तमिल संगमम' की शुरुआत 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.
(इनपुट भाषा से भी)