तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के दौरों के लिए वाहन लेने वाली कांग्रेस को एक करोड़ रुपये देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस को निर्देश दिया कि वह 1981 से 1989 तक राज्य में सत्तासीन रहने के दौरान राजनीतिक रैलियों में समर्थकों को लाने-ले जाने के लिए राज्य पथ परिवहन निगम की बसों और टैक्सियों के बकाये किराये के तौर पर एक करोड़ रुपये जमा कराए.

Advertisement
Read Time: 25 mins
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस को निर्देश दिया कि वह 1981 से 1989 तक राज्य में सत्तासीन रहने के दौरान राजनीतिक रैलियों और तत्कालीन प्रधानमंत्रियों- इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की यात्राओं में समर्थकों को लाने-ले जाने के लिए राज्य पथ परिवहन निगम की बसों और टैक्सियों के बकाये किराये के तौर पर एक करोड़ रुपये जमा कराए.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) की याचिका पर राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश राज्य पथ परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को नोटिस जारी किए और पार्टी को चार सप्ताह के भीतर एक करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया.

पीठ ने आदेश दिया, ‘‘इस बीच, याचिकाकर्ता द्वारा दोनों पक्षों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, चार सप्ताह की अवधि के भीतर एक करोड़ रुपये की राशि जमा करने पर आगे की वसूली पर रोक रहेगी.''

कांग्रेस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि परिवहन निगम उच्च न्यायालय के निष्कर्षों को चुनौती दे रहा है, क्योंकि कुल 2.68 करोड़ रुपये की राशि विवादित है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘राशि का विरोध करने के लिए, यदि आप एक दीवानी मुकदमा दायर करते हैं, तो निर्णय में 20-30 साल लगेंगे. उसके बाद पहली अपील, दूसरी अपील और अन्य कार्यवाही होगी. इसके बजाय, हम याचिकाकर्ता की वास्तविक देनदारी निर्धारित करने के लिए एक मध्यस्थ नियुक्त करने के बारे में सोच रहे हैं.''

खुर्शीद ने पीठ के सुझाव पर सहमति जताई. पीठ ने कहा कि प्रामाणिकता स्थापित करने के लिए वह प्रदेश कांग्रेस को कुल बकाया की एक निश्चित राशि जमा करने का निर्देश देगी. इसके साथ ही पीठ ने एक करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया.

Advertisement

आदेश लिखे जाने के बाद खुर्शीद ने पीठ से जमा की जाने वाली राशि कम करने और चार सप्ताह की अवधि को और बढ़ाने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा, ''शुरुआत में हम आधी राशि जमा करने का आदेश देने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन फिर हमने सोचा कि एक करोड़ रुपये प्रामाणिकता स्थापित करने के लिए पर्याप्त होंगे.''

प्रदेश कांग्रेस ने 1998 में दायर एक रिट याचिका के सिलसिले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के पांच अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी. प्रदेश कांग्रेस ने लखनऊ सदर के तहसीलदार द्वारा जारी वसूली नोटिस को चुनौती दी थी.

Advertisement

यह कार्यवाही यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक के कहने पर शुरू की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि प्रदेश कांग्रेस पर 2.68 करोड़ रुपये (2,68,29,879.78 रुपये) की राशि बकाया है और वह इसे वसूलने का हकदार है.

उच्च न्यायालय ने विभिन्न पत्राचार और बिलों का उल्लेख किया है और यूपीएसआरटीसी के दो अप्रैल, 1981 के एक पत्र का संज्ञान लिया है, जिसमें बताया गया है कि 16 फरवरी, 1981 को उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान रैली के लिए 6.21 लाख रुपये से अधिक का बिल बाकी था और इसी तरह 16 दिसंबर, 1984 के एक अन्य पत्राचार से पता चलता है कि 1984 में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अस्थियों को 19 नवंबर को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों के आवागमन के वास्ते उपलब्ध कराये गये वाहन का किराया 8.69 लाख रुपये बाकी था.

Advertisement

उच्च न्यायालय ने यूपीसीसी को निर्देश दिया था कि वह ‘यूपीएसआरटीसी' को देय तिथि से पांच प्रतिशत ब्याज के साथ तीन महीने की अवधि के भीतर 2.66 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान करे.

कांग्रेस ने अपनी याचिका में कहा था कि यह रकम राजनीतिक प्रतिशोध के तौर पर और याचिकाकर्ता को राजनीतिक दबाव में लाने के इरादे से वसूली जा रही है.

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, इस दिन गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे भगवान