प्रयागराज में मासूम की मौत, परिजनों का आरोप- बिल नहीं चुकाया तो ऑपरेशन के बाद बिना टांके लगाए खुला छोड़ा पेट

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक निजी अस्पताल द्वारा अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है. इलाज की रकम न भर पाने के चलते अस्पताल ने 3 साल की मासूम को बिना इलाज के लिए अस्पताल से बाहर कर दिया, य़हां तक उसके पेट में टांके तक नहीं लगाए गए.

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घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है
प्रयागराज:

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) में एक निजी अस्पताल द्वारा अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है. इलाज की रकम न भर पाने के चलते अस्पताल ने 3 साल की मासूम को बिना इलाज के लिए अस्पताल से बाहर कर दिया, य़हां तक उसके पेट में टांके तक नहीं लगाए गए. जिसके कारण बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई और आखिर में उसने दम तोड़ दिया. इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार ने दखल देते हुए अस्पताल के खिलाफ जांच शुरू की है, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस बाबत जांच के आदेश दिए है. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. 

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समाचार एजेंसी ANI के अनुसार नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने इस मामले में तुरंत जांच की अपील करते हुए कहा कि अगर इस मामले में यूनाइडेट मेडिसिटी अस्पताल की लापरवाही साबित होती है, तो अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. मृतक मासूम के परिजनों ने अस्पाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल ने 5 लाख रुपये की मांग की थी, जब हम भुगतान नहीं कर पाए तो बच्ची के सर्जिकल घावों को बिना सीले ही डिस्चार्ज कर दिया. 

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समर बहादुर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि बच्ची को 16 फरवरी के दिन अस्पताल में दाखिल कराया था. उसका एक ऑपरेशन हुआ था और उसे SRM अस्पताल के लिए रिफर किया गय़ा था. लेकिन परिवार के लोग उसे एक बच्चों के अस्पताल में ले गए. उस अस्पताल में भी बच्ची का इलाज कराया गया था लेकिन बाद में परिवार के लोग उसे दोबारा निजी अस्पताल ले गए. लेकिन यहां उसकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि हम पोस्टमार्टम भी करवा रहे हैं. 

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इस घटना से जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जहां पीड़ित बच्चे का पिता सारी स्थिति को समझा रहा है जबकि बच्ची वहीं दर्द से कराहती हुई दिखाई दे रही है, उसके नाक में पाइप भी लगा हुआ है. क्लिप में पिता यह कहते हुए दिखाई दे रहा है कि हमारे सारे पैसे लेने के बाद डॉक्टर ने ये कहकर डिस्चार्ज कर दिया कि यह मामला हमारे बस का नहीं है. पिता के अनुसार अस्पताल ने हमसे जो कुछ भी मांगा हमने उन्हें दिया, यहां तक कि तीन बार खून भी मांगा गया और हमने दिया भी. एक अन्य वीडियो में वह बच्ची के घावों को खोलकर भी दिखाता हुआ नजर आता है, जहां मक्खियां मंडरा रही थीं. एक और वीडियो में बच्ची अस्पताल के गेट पर है और सांस लेती हुई दिखाई दे रही है. बच्ची को माता पिता ने अपने हाथों में पकड़ा हुआ है. आर्थिक रूप से पिछड़ा परिवार कौशांबी जिले के रहने वाले है. 

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हालांकि अस्पताल पूरी तरह से मृतक मासूम के माता पिता के दावों को खारिज कर रहा है. यूनाइटेड मेडिसिटी के अधिकारियों ने NDTV से बातचीत में कहा कि मौत से 15 दिन पहले तक अस्पताल में नहीं थी. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने कहा कि सरकारी अस्पताल जाने से पहले करीब 15 दिनों तक बच्ची हमारे अस्पताल में भर्ती थी. उसके इलाज का बिल एक लाख 20 हजार रुपये हुआ था लेकिन परिवार से सिर्फ 6 हजार का भुगतान कराया गया था. 
 

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