शस्त्र लाइसेंस से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, अधिकारी निर्धारित समय का पालन नहीं कर रहे

हाईकोर्ट ने कहा कि अभी हम इस मामले में कोई विपरीत आदेश नहीं पारित कर रहे है मगर यदि जिलाधिकारी शासनादेश का पालन नहीं करते हैं तो मुख्य सचिव कार्रवाई करें और यदि कोई अधिकारी जिला अधिकारी को समय से रिपोर्ट नहीं दे रहा है तो जिला अधिकारी उसके विरुद्ध कार्रवाई करें.

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प्रयागराज:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शस्त्र लाइसेंस से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा है कि शस्त्र लाइसेंस के लिए दिए जाने वाले आवेदनों का समय सीमा के अंदर निस्तारण किया जाना आवश्यक है. कोर्ट ने कहा है कि समय सीमा के अंदर आवेदनों का निस्तारण नहीं करने वाले डिस्ट्रक्ट मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुख्य सचिव कार्रवाई करें. कोर्ट ने प्रदेश के सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से भी कहा है कि वह शस्त्र लाइसेंस के लंबित आवेदनों की नियमित रूप से निगरानी करें और साथ ही राज्य सरकार को भी इसकी निगरानी का तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है.

गौरतलब है कि मैनपुरी के शिव ओम की याचिका पर सुनवाई करते हुए इससे पहले जस्टिस विक्रम डी चौहान ने 17 फरवरी को राज्य सरकार से इस संबंध में जानकारी मांगी थी कि शस्त्र लाइसेंस के लिए दिए जाने वाले आवेदनों का समय सीमा के अंदर निस्तारण क्यों नहीं किया जा रहा है जबकि शस्त्र अधिनियम में आवेदन निस्तारण किए जाने की समय सीमा तय की गई है. मंगलवार को इस आदेश के जवाब में चीफ स्टैंडिंग कौंसिल कुणाल रवि सिंह ने कोर्ट को अवगत कराया की 10 मार्च 2025 को राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर दिया है और सभी जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि शस्त्र आवेदनों का निस्तारण शस्त्र अधिनियम में तय की गई समय सीमा के अंदर हर हाल में किया जाए. 

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अभी हम इस मामले में कोई विपरीत आदेश नहीं पारित कर रहे है मगर यदि जिलाधिकारी शासनादेश का पालन नहीं करते हैं तो मुख्य सचिव कार्रवाई करें और यदि कोई अधिकारी जिला अधिकारी को समय से रिपोर्ट नहीं दे रहा है तो जिला अधिकारी उसके विरुद्ध कार्रवाई करें.

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हाईकोर्ट ने पुलिस सहित सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि शस्त्र लाइसेंस के मामले में वह जिलाधिकारी के निर्देशों का पालन करें. कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने जिले में शस्त्र लाइसेंस के लंबित प्रार्थना पत्रों का ब्यौरा इकट्ठा करें और 45 दिन के अंदर उसे मुख्य सचिव को भेजें. यदि कोई आवेदन तय समय सीमा से अधिक समय से लंबित है तो उसका तत्काल निस्तारण किया जाए. 

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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नागरिकों को केवल यह निर्देश प्राप्त करने के लिए इस न्यायालय में आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता कि विशेष अधिकारी अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है. अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह उक्त अधिकारी को दिए गए वैधानिक निर्देश का प्रयोग करे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जहां तक ​​वर्तमान मामले का सवाल है राज्य सरकार की तरफ से के मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने प्रस्तुत किया है कि याचिकाकर्ता के शस्त्र लाइसेंस आवेदन को 7 मार्च 2025 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया है और इसकी एक प्रति याचिकाकर्ता के वकील को प्रदान की गई है.

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इस स्तर पर याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया है कि उन्हें कानून के अनुसार इसे चुनौती देने की अनुमति दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि याचिका का निपटारा याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार इसे चुनौती देने की स्वतंत्रता के साथ किया जाता है.

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