सपा को छोड़ बीएसपी में शामिल हुए इमरान मसूद, मायावती ने ट्वीट कर किया स्वागत

इमरान मसूद साल 2007 में मुजफ्फराबाद सीट से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं. अपनी पहली जीत के बाद वे लगातार तीन चुनाव हार गए. नकुड़ से दो विधानसभा चुनाव और सहारनपुर से संसदीय चुनाव. वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे.

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मायावती ने इमरान मसूद के बीएसपी में शामिल होने का स्वागत किया है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और कद्दावर नेता इमरान मसूद (Imran Masood) बुधवार को समाजवादी पार्टी छोड़ बहुजन समाज पार्टी (BSP) में शामिल हो गए हैं. बीएसपी ने उन्हें पश्चिमी यूपी का संयोजक बनाया है. मायावती (Mayawati) ने इमरान मसूद के बीएसपी में शामिल होने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ये दिखाता है कि मुस्लिम समाज को यकीन है कि बीजेपी की द्वेषपूर्ण और क्रूर राजनीति से मुक्ति के लिए समाजवादी पार्टी नहीं, बल्कि बीएसपी ही जरूरी है.

सहारनपुर से विधायक रहे इमरान मसूद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से सपा में शामिल हुए थे. विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से इमरान मसूद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे थे. इमरान मसूद ने कहा, ''अखिलेश यादव ने वादे नहीं पूरे किए. बीजेपी का विकल्प केवल बीएसपी ही हो सकती है. मैं कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाऊंगा.''

मायावती ने ट्वीट किया, 'उत्तर प्रदेश व खासकर पश्चिमी यूपी की राजनीति में इमरान मसूद एक जाना-पहचाना नाम है, जिन्होंने आज अपने करीबी सहयोगियों के साथ मुझसे मुलाकात की. और वे समाजवादी पार्टी छोड़कर, अच्छी नीयत व पूरी दमदारी से काम करने के वादे के साथ बसपा में शामिल हो गए, जिसका तहेदिल से स्वागत है.'

मायावती ने कहा कि बीएसपी ने पार्टी संगठन और अपनी सभी सरकारों में गरीबों, महिलाओं व अन्य उपेक्षितों के हित व कल्याण को सर्वोपरि रखते हुए अपने कार्यों से यह साबित किया है कि सर्वसमाज का हित, रोजी-रोजगार, सुरक्षा व धार्मिक स्वतंत्रता बसपा में ही संभव, जिसपर विश्वास समय की मांग है.

मायावती ने कहा कि पार्टी में काम करने के इनके जबर्दस्त जोश व उत्साह को देखकर आज ही उन्हें पश्चिमी यूपी बीएसपी का संयोजक बनाकर वहां पार्टी को हर स्तर पर मजबूत बनाने व खासकर अकलीयत समाज को पार्टी से जोड़ने की भी विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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इमरान मसूद साल 2007 में मुजफ्फराबाद सीट से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं. अपनी पहली जीत के बाद वे लगातार तीन चुनाव हार गए. नकुड़ से दो विधानसभा चुनाव और सहारनपुर से संसदीय चुनाव. वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे.

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