हिंदुस्तान की असली तस्वीर : UP की इस दरगाह में 100 साल से खेली जा रही होली, पहुंचते हैं हर मजहब के लोग

इस दरगाह में होली मनाने के देशभर से हर एक मजहब के लोग पहुंचते हैं और एक साथ होली का त्योहार मनाते हैं.

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लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के देवा शरीफ में होली के दिन भारत की उस सोच की तस्वीर नजर आती है जिसमें हिंदू मुसलमान सिख सब एक रंग में रंगे नजर आते हैं. हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर होली गंगा जमुनी तहजीब के साथ आपसी भाई चारे की एक बड़ी मिसाल पेश करती है, जिसमें नफरत के रंग की कोई जगह नज़र नहीं आती.

यहां होली मनाने के देशभर से हर एक मजहब के लोग पहुंचते हैं और एक साथ होली का त्योहार मनाते हैं. यहां जाति-धर्म की सारी सीमाएं से हटकर भाईचारा दिखाई देता है. हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली में उनके संदेश 'जो रब है वही राम' की पूरी झलक दिखाई देती है. करीब सौ साल से ज्यादा समय से इस दरगाह में होली खेली जाती रही है.

हाजी वारिस अली शाह की मजार का निर्माण उनके हिन्दू मित्र राजा पंचम सिंह ने कराया था. इसके निर्माण काल से ही यह स्थान हिन्दू-मुस्लिम एकता का सन्देश देता आ रहा है. यहां आने वाले हर मजहब के श्रद्धालु पहुंचते हैं. 

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अनूठी होली खेलने दिल्ली से लगातार 30 वर्षों से आ रहे सरदार परमजीत सिंह ने बताया कि  '30 साल पहले जो मैं यहां आया और यहां की जो होली देखी और जो साथ कलर का रंग यहां देखा वह सात जन्मों का रंग मेरे अंदर रंग गया. वह रंग अब उतरने वाला नहीं है.  अब मैं हर साल यहां होली खेलने आता हूं . मैं इसलिए आता हूं क्योंकि यह हिंदुस्तान की एकलौती ऐसी दरगाह है जहां हिंदुओं के हर त्योहार मनाए जाते हैं और होली ऐसी मनाई जाती है कि जो एक बार यहां आ गया वह जिंदगी में भूलता नहीं है. यहां हिंदू मस्लिम एकता की मिसाल दिखती है.'

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हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली में मुस्लिम महिलाएं भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं और वो भी यहां पर अलग-अलग रंगों से मिलकर भाईचारे की एक रंग में रंगी नजर आती है. रंगों का यह पैगाम उस मोहब्बत का पैगाम है जो तकरीबन 100 साल से यहां होली के मौके पर बिखेरा जा रहा है.

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मिर्जापुर से होली खेलने आईं एक महिला ने बताया कि वारिस अली शाह के सन्देश 'जो रब है, वही राम' के संदेश से इतना प्रभावित हुईं कि वह अब हमेशा के लिए यहां होली खेलने आती हैं.

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होली कमेटी के अध्यक्ष सहजादे आलम वारसी ने बताया कि यहां की होली पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से खेली जा रही है. पहले यहां इतनी भीड़ नहीं होती थी और कस्बे के ही लोग यहां वारिस सरकार के कदमों में रंग गुलाल चढ़ाते थे और वह सबको अपना आशीर्वाद देते थे. समय के साथ यहां होली का स्वरूप बदल गया और बाहर से भी यहां लोग होली खेलने आने लगे. 

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उन्होंने लोगों से अपील की है कि वारिस अली शाह का मोहब्बत का संदेश है और इसे पूरी दुनिया में फैलाएं. उनकी यही प्रार्थना है कि कयामत तक लोगों में प्रेम बना रहे. 

होली खेल रहे देवा नगर पंचायत के सभासद शाफे जुबैरी ने बताया कि वारिस सरकार का साफ संदेश था कि सभी के दिलों में प्रेम और मोहब्बत स्थापित हो और उन्हें खुशी है कि यहां आने वाले लोग उनके इस संदेश को अपना भी रहे है. राजनीति जरूर हिन्दू-मुसलमानों में दरार डालने का प्रयास कर रही है लेकिन वारिस सरकार के आगे उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो रहें है.

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